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मुलायम सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

हल्द्वानी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय आहवान पर समाजवादी पार्टी के संस्थापक देश के पूर्व रक्षा मंत्री व तीन बार के उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री निवर्तमान में लोकसभा सांसद रहे मुलायम सिंह यादव की प्रथम पुण्य तिथि पर उत्तराखण्ड समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय परेड ग्राउण्ड देहरादून पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जहां प्रातरू से ही मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजली देने वालों का तांता लगा रहा।
सर्वप्रथम उत्तराखण्ड समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ,सपा.महिला सभा की राष्ट्रीय महासचिव आभा बर्थवाल सपा. उत्तराखण्ड महासचिव अतुल शर्मा नेअपने तमाम साथियों के साथ मा0 मुलायम सिंह यादव के चित्र पर माल्यार्पण एव पुष्प अर्पित कर श्रंधाजलि अर्पित की। तद्उपरान्त एक शोक सभा का आयोजन किया गया शोक सभा को सम्बोधित करते हुए सपा. उत्तराखण्ड प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव जैसा नेता सदियों में एक आद ही पैदा होता है।नेता से लेकर उन्हें जितनी भी उपाधि मिली हैं । सब उनके कार्यों के कारण ही मिली है चाहे उसमें धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव हो। चाहे जिसका जलवा क़ायम हे उसका नाम मुलायम है ।नेता सुभाष चन्द बॉस के बाद किसीको नेता की उपाधि मिली तो वह थे। मुलायम सिंह यादव इसी के साथ ही सिद्दीक़ी ने कहा मुलायम सिंह यादव उत्तराखण्ड के सबसे बड़े हितेषी थे ।
उन्होंने यहाँ की भौगोलिक व आर्थिक परस्तिथि को देखते हुए उत्तराखण्ड अलग राज्य बनाने का सपना देखा था। जिसके लिये उन्होंने कोशिक क्मेटी व बर्थवाल कमेटी का गठन करके उत्तराखण्ड राज्य बनाने की शुरुआत करने के साथ साथ दो बार उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों विधानसभा व विधान परिषद से उत्तराखण्ड का बिल पास कराके केंद्र सरकार को भेजा। लेकिन जिस उत्तराखण्ड का सपना मुलायम सिंह यादव एवं यहां की जन्ता ने देखा था। आज उत्तराखण्ड की तस्वीर बिल्कुल उसके विपरीत है। बेरोजगारी, पलायन, भ्रष्टाचार, अपराध सभी चरम सीमा पर है। साथ ही सिद्दीक़ी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव किसानों गरीबों व्यापारियों छात्रों कर्मचारियों सहित सभी वर्गों के सच्चे हितैषी थे ।और उन्होंने सभी वर्गों के लिये भरपूर कार्य किये ।विशेष रूप से अपने रक्षा मंत्री के कार्यकाल में सेना का मनोबल बड़ाने के साथ-साथ हमारे शहीद जवानों का शव ससम्मान उनके घर पहुेचाने के साथ-साथ पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अन्तिम संस्कार कराने का जो कार्य किया है ।वह अपने आप में एक एतिहासिक फैसला है। इससे पूर्व शहीद की बेल्ट और टोपी उनके घर आती थी।

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