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कई सालों से डॉक्टरों की राह देख रहा ट्रामा सेंटर
चमोली। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। वहीं चमोली में कर्णप्रयाग स्थित बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना ट्रामा सेंटर कई सालों से डाक्टरों और उपकरणों की राह देख रहा है। करोड़ों की लागत से बने इस भवन को लेकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों में कई उम्मीदें जगी थी, लेकिन डॉक्टरों और संसाधनों के आभाव में अब यह भवन लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है।
10 साल पहले स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से चमोली जनपद के केंद्र बिंदु कर्णप्रयाग में ट्रामा सेंटर का भवन बनकर तैयार हुआ था। लेकिन प्रदेश की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज सरकारों की उदासीनता के चलते यह आज तक शुरू नहीं हो पाया हैं। चमोली में ऐसा यह पहला ट्रामा सेंटर नहीं है, जो अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। दरसअल, चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर के जिला अस्पताल में बने ट्रामा सेंटर की तस्वीर भी यही है। यहां भी ट्रामा सेंटर का भवन तो बन गया, लेकिन ट्रामा सेंटर के अंदर जिला अस्पताल की इमरजेंसी चल रही है। जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर आज तक शुरू नहीं किया गया। मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि कर्णप्रयाग में बनाया गया ट्रामा सेंटर में आज तक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की गई, न ही उपकरणों को जोड़ा गया। अगर कर्णप्रयाग ट्रामा सेंटर की उपयोगिता की बात की जाए तो यह बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग- 07 पर स्थित है। यात्राकाल के दौरान हाईवे पर वाहन दुर्घटनाएं होती हैं, तो यह ट्रामा सेंटर दुर्घटना में घायल लोगों के उपचार के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है। वहीं मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉक्टर के के सिंह ने बताया कि कर्णप्रयाग और गोपेश्वर के ट्रामा सेंटरो को वहां के अस्पतालों में मर्ज कर दिया गया है, अब ट्रामा सेंटर अस्पतालों का भाग हैं।