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उत्तराखंड में बेरोजगारी, पलायन की सबसे बड़ी वजह युवाओं के भविष्य से 21 सालों से हो रहा खिलवाड़ः सौरभ भारद्वाज

देहरादून। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने उत्तराखंड की जनता से जुड़ते हुए नव परिवर्तन संवाद किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य को बनाने में यहां के लोगों ने बहुत बड़ा संघर्ष किया लेकिन आज भी यहां के लोगों के सपने पूरे नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि चाहे तेलंगाना हो झारखंड हो छत्तीसगढ़ हो या उत्तराखंड को इन इलाकों की पहले अनदेखी हुआ करती थी,यहां के नेता इन इलाकों को हमेशा ही नजरअंदाज किया करते थे उत्तराखंड के लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश से अलग बने इस राज्य में पिछले 21 सालों से विकास थम गया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान में कई गांव के लोगों से मिला और वहां के जीवन को बहुत पास से देखा। उन्होंने कहा कि जब मैंने उस दौरान कई गांव का भ्रमण किया तो कई सुंदर-सुंदर घर मुझे नजर आए लेकिन उन्हें देखकर बड़ा अफसोस हुआ कि वह सभी घर खाली थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के कई गांवों में युवा नजर नहीं आते क्योंकि वह पलायन करके बाहर जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं के लिए उत्तराखंड में रोजगार की व्यवस्था नहीं है और कठिन जीवन होने की वजह से बिना रोजगार के घर चलाना नामुमकिन है जिस कारण इन लोगों को अपने प्रदेश से पलायन करके बाहर जाना पड़ता है। उत्तराखंड की जवान पीढ़ी अब अमूमन दिल्ली की ओर पलायन कर चुकी है दिल्ली में उत्तराखंड के कई युवा आपको रोजगार करते हुए मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार नहीं मिलता और वह अपनी तरक्की के लिए नहीं बल्कि अपनी मजबूरी से पलायन करते हैं। आज उत्तराखंड में बेरोजगारी सबसे बड़ी बीमारी बन चुकी है। यहां बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है उन्होंने कहा कि बीते 21 सालों में किसी भी सरकार ने रोजगार के लिए कुछ नया नहीं किया। इस बारे में कोई भी पॉलिसी या रिसर्च नहीं की गई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में संसाधनों की भरमार है यहां पर कई तरह की संभावनाएं हैं कई तरह के इंडस्ट्रीज यहां से लग सकती हैं और यहां के युवाओं को बहुत बड़े स्तर पर रोजगार दिया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि देश के अधिकांश राज्यों से लोग उत्तराखंड घूमने आते हैं विदेशी भी लोग उत्तराखंड घूमने आते हैं, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि यहां के बच्चों को अपने राज्य में रोजगार नहीं मिलता और उन्हें बाहर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सरकारी इन 21 सालों में नकारा और नालायक रही जो सिर्फ भ्रष्टाचार तक सीमित रहे। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड को वैश्विक पटल पर रखा जा सकता था, उत्तराखंड को योग और अध्यात्म के क्षेत्र में नई पहचान दी जा सकती थी लेकिन यहां की सरकारों ने ऐसा सोचा तक नहीं और इसीलिए आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने का निर्णय लिया है
उन्होंने कहा कि अगर यह प्रयास सन 2000 में किया गया होता तो आज उत्तराखंड एक अलग स्थान पर होता यहां बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं है यहां के बच्चों को कई कई किलोमीटर तक पैदल स्कूल जाना पड़ता है उन्होंने कहा कि रोजगार के अलावा बच्चों की शिक्षा भी पलायन के लिए एक मुख्य मुद्दा है हर मां बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं जिसके लिए उनको पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है।

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