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तीन तलाक समेत अहम विधेयकों पर संसद में मोदी सरकार का विरोध करेगा विपक्ष

नई दिल्ली। विपक्ष ने अहम विधेयकों को विधायी कसौटी पर परखे बिना धुंआधार गति से पारित कराने को लेकर सरकार को आगाह किया है। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष की घेरेबंदी के लिए हुई विपक्षी दलों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि मनमाने तरीके से विधेयकों को पारित कराने के सरकार के प्रयासों का जोरदार विरोध किया जाएगा। विपक्ष ने इसी रणनीति के तहत सूचना का अधिकार कानून संशोधन बिल समेत सात विधेयकों को सलेक्ट कमिटी में भेजने के अपने इरादों की सूची बुधवार को सरकार को थमा दी। सरकार को विपक्ष ने मुस्लिम महिलाओं से जुड़े तीन तलाक विधेयक पारित कराने में भी जल्दबाजी नहीं करने की सलाह दी है। संसद के मौजूदा सत्र को दस दिनों के लिए बढ़ाने की सरकार की पूरी तैयारी को देखते हुए विपक्षी पार्टियों ने इसी के अनुरूप अपनी साझा रणनीति बनाई है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी दलों के नेताओं की अलग-अलग बैठक में अहम मुद्दों पर विपक्षी दलों के बीच एकजुटता और समन्वय पर जोर दिया गया। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने सुबह लोकसभा में विपक्षी खेमे के नेताओं के साथ बैठक की। इसमें अहम मुद्दों पर विपक्षी दलों की चर्चा की मांग की अनदेखी किए जाने से लेकर लोकसभा में बहुमत की ताकत के सहारे संसदीय नियमों-परंपराओं को दरकिनार किए जाने के खिलाफ एकजुटता की जरूरत बताई गई। कश्मीर मसले पर मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित बोल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग फिलहाल जारी रखने पर भी सहमति बनी। सोनिया की बुलाई इस बैठक में सपा और तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल नहीं हुए। हालांकि राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में तृणमूल कांग्रेस और सपा के नेता शामिल हुए। गुलाम नबी आजाद की अगुआई में हुई विपक्षी नेताओं की बैठक में नेताओं का मानना था कि कई खामियों के साथ पारित हो रहे बिल के कानून बनने के बाद दूरगामी गंभीर नतीजे हो सकते हैं। इसीलिए जल्दबाजी करने की बजाय विधायी कसौटी पर बिलों का अध्ययन कर इन्हें पारित कराया जाना चाहिए। इसके मद्देनजर ही विपक्षी पार्टियों ने सूचना का अधिकार संशोधन बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर सदन में इसे पेश करने का मजमून तैयार कर लिया है। इतना ही नहीं विपक्ष ने आरटीआइ समेत सात विधेयकों की सूची अनौपचारिक तौर पर सरकार को थमा दी है कि इन बिलों को राज्यसभा में जबरन पारित कराने के प्रयास हुए तो फिर हंगामेदार विरोध होगा। आरटीआई और तीन तलाक बिल के अलावा वेतन संहिता विधेयक, कार्यगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता बिल, अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद संशोधन बिल, डीएनए संशोधन बिल और गैर-कानूनी गतिविधि निषेध बिल को भी सिलेक्ट कमिटी में भेजने की विपक्ष की रणनीति है। विपक्षी दलों ने सरकार के रणनीतिकारों से साफ कह दिया है कि वह चाहे तो खुद ही इन बिलों को विधायी कसौटी पर परखने के लिए संसदीय समिति को भेज दे। सरकार ऐसा नहीं करेगी तो विपक्ष आसानी से विधेयकों को पारित नहीं होने देगा। ध्यान रहे कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के सहयोगी दल जदयू ने भी ऐतराज जताया है।

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