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तपती धूप व गर्मी में नदी से पत्थर निकालने को मजबूर बच्चे

वीरपाड़ा। पेट इंसान को कठिन से कठिन काम व चोरी-डकैती करने को भी मजबूर कर देती है। अगर परिवार आवश्यकता अनुसार रोजगार नहीं कर पाए तो अपने बच्चों को भी काम पर लगा देते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा वीरपाड़ा में देखने को मिला। तपती धूप व गर्मी में शिशु नदी से पत्थर निकालने का काम कर रही थी। वीरपाड़ा से लंकापाड़ा जाने वाली सड़क से होते हुए भूटान पहाड़ से निकलने वाली सुखा पागली नदी में छोटे-छोटे बच्चों को पत्थर निकालते देखा गया। कोई पांचवीं में पढ़ता है तो किसी ने पढ़ाई ही नहीं की है।  लेकिन परिवार चलाने में माता-पिता की मदद करने के लिए बच्चे काम में हाथ बंटा रहे हैं। नदी से बालू-पत्थर निकाले वाले शिशुओं में शामिल बबीता उरांव की मां ने सीमा उराव ने कहा कि वह दलमोड़ चाय बागान में बीघा का काम करती है। जरूरत पड़ने पर चायपत्ती तोड़ने के लिए श्रमिकों को बुलाया जाता है, फिर हटा दिया जाता है। फलस्वरूप चार लोगों के परिवार के चलाने में भी दिक्कतें आ रही थी।पति राजू उराव भी बेरोजगार है। हमेशा काम नहीं होने की वजह से वह अपने चार वर्ष की बेटी बबीता उराव को लेकर नदी से पत्थर व बालू निकालने का काम करती है। वहीं वीरपाड़ा ग‌र्ल्स हाईस्कूल की छठी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा निकिता उराव भी अपनी दादी बसंती उराव के साथ नदी में पत्थर निकालने को आती है।

स्कूल में गर्मी की छुट्टी है, इसलिये परिवार को सहायता देने के लिए निकिता नदी से पत्थर निकालने में जुट जाती है। काफी पत्थर जमा करने के बाद उन लोगों को 50 रुपये मिल पाता है। सुबह से शाम तक काम करने के बावजूद मात्र 50 से 70 की कमाई होती है। कुल मिलाकर घर को चलाने के लिए बच्चे नदी से बालू व पत्थर निकालकर परिवार को थोड़ी-बहुत सहायता करते हैं।

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