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स्वामी तेजसानन्द सरस्वती बने आनंद अखाड़ा के नए महामंडलेश्वर

हरिद्वार। शनिवार को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के नेतृत्व में आनंद अखाड़े ने भोलागिरी आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को महामंडलेश्वर नियुक्त किया। भोलागिरी आश्रम में हुए इस कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज, निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी और अन्य संतों ने चादर ओढ़ाकर नए महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक किया।
इससे पहले निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशनन्द गिरी महाराज ने भोलागिरी आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया की। आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भोलागिरी आश्रम के महंत आनंद अखाड़े के आचार्य थे। आज उसी स्थान पर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को आनंद अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया है। इनका कहना है कि स्वामी तेजसानन्द सरस्वती विद्वान संत हैं, इनके द्वारा भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद पहले महामंडलेश्वर बनाने का अवसर मुझे मिला है।
इस मौके पर निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया कि भोलागिरी आश्रम की शाखाएं पूरे देश भर में है। हरिद्वार में भोलागिरी आश्रम के संचालन के लिए हमारे द्वारा स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को महामंडलेश्वर बनाया गया है। हम आनंद अखाड़े और महामंडलेश्वर के सहयोग में हमेशा साथ रहेंगे। उनका कहना है कि स्वामी तेजसानन्द सरस्वती बचपन से ही बाल योगी रहे हैं. बस आज इनको महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया गया है।
आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त हुए स्वामी तेजसानन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति में धर्म की रक्षा करने वाला होता है। धर्म उसकी हमेशा रक्षा करता है, क्योंकि आज के युग में धर्म की रक्षा करना काफी कठिन हो गया है। मगर यह हमारे ऋषि मुनियों का देश है। महामंडलेश्वर बनने के बाद मेरे द्वारा धर्म की रक्षा के लिए कार्य किए जाएंगे। संतो का मुझे आशीर्वाद मिला है और मैं जीवन भर धर्म की रक्षा के लिए कार्य करता रहूंगा।

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