Uttarakhand
सुन्दर दून चाहिये तो बनानी होगी धरातल से योजना
देहरादून को स्मार्ट सिटी के लिये चुना गया है। दफ्तर,अधिकारी,कर्मचारी सब आ गए है। तेजी से काम हो रहा है। फ़ाइल इधर से उधर दौड़ रही है। धन आबंटित हो चुका है। निश्चित रूप से अनुमान है देहरादून स्मार्ट हो जाएगा। लेकिन स्मार्ट होने के साथ क्या शहर सुन्दर बन पाएगा? इसके लिये शायद अगली पीढ़ी को देखने का मौका मिले।
ऐसी योजनाओं में समय लगता है इसलिये बीच बीच मे नए अवरोध भी पैदा होते रहते है।बढ़ती जनसंख्याऔर बदलते शासन भी समस्या के कारण बनते हैं। जनता जागरूक न होने के कारण मनमानी करती रहती है। विभागों में आपसी तालमेल की बेहद कमी रहती है। इसलिये जो काम होता भी है कुछ समय बाद ही उसका स्वरूप बदल जाता है।
इस सब मे अगर सबसे बड़ी कमी दिखाई पड़ती है तो वह है ऊपरी स्तर पर एयर कंडिशन्ड दफ्तरों में बैठे योजना तैयार करना और विभिन्न विभागों में सामंजस्य की कमी। अतः हमारा सुझाव है कि शून्य त्रुटि वाली योजना जो एकमुश्त विकास का दूरगामी नजरिया रखती हो, धरातल पर बननी चाहिए। सभी आवश्यक विभागों जैसे नगर निगम सभासद, स्थानीय विधायक, सभी निर्माण विभाग, विद्युत विभाग, संचार विभाग, पेयजल एवं निकासी, विकास प्राधिकरण और वन विभाग आदि के प्रतिनिधियो को मिलाकर वार्ड स्तर पर एक समूह बनाया जाना चाहिए जो आवश्यक डेटा के साथ इंटीग्रेटेड विकास की योजना बनाकर उचित माध्यम के द्वारा सक्षम अधिकारी को अनुमोदन हेतु अपनी सिफारिश के साथ प्रेषित करें। इस समूह में आवास समितियों के प्रतिनिधि और क्षेत्र के महत्वपूर्ण महानुभाव व पत्रकारों को भी प्रतिनिधितव दिया जाना चाहिए। योजना का प्रारूप इस प्रकार होना चाहिए कि कार्य मे अंतर विभागीय समस्याएं न हो। योजना के कुछ मूलभूत तत्व हम यहां प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
1 योजना में सबसे पहले जल निकासी के लिये लंबे समय की अवधि के लिये कार्य होना चाहिए।
2 सड़क के दोनों और कंक्रीट डक्ट बननी चाहिये जिसमे एक डक्ट सभी तारो के लिए और दूसरी गैस, पानी आदि की सप्लाई के लिये। इन
डक्ट का इस्तेमाल निश्चित भुगतान के बाद विभाग कर सकते है।
3 सभी खंबे जो आवश्यक हो एक रूप तथा एक समान पंक्ति में होने चाहिये।
4 सड़क के दोनों और सड़क की पूर्ण चौड़ाई तक किसी भी पेड़ को जनता द्वारा लगाया जाना प्रतिबंधित किया जाना चाहिये और यह कार्य नगरनिगम द्वारा अथवा विकास प्राधिकरण द्वारा वन विभाग के साथ मिलकर समरूप एकीकृत सुंदरता स्थापित करने के लिये सम्मलित रूप से किया जाना चाहिए।भवनों की बाउंडरी के बाहर पौधे, पेड़,बाढ़ और अन्य किसी भी प्रकार का अतिक्रमण अनुमन्य न हो।
5 जहां आवश्यक हो फुट पाथ का अलग चिन्हीकरण और उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
6 प्रत्येक चौराहे पर पैदल पथ पार की व्यवश्था होनी चाहिये।
7 मुख्य स्थानों, दुर्घटना संभावित स्थानों पर अच्छी कैमरा निगरानी व्यवश्था होनी चाहिए।
8 कॉलोनीज तथा सड़को पर उचित मार्ग दर्शन पट्टियां लगी हुई होनी चाहिए।
9 प्रदेश में वीर सैनिकों और महापुरुधो का बहुत बड़ा योगदान है अतः सभी सड़के सेनिको के नाम तथा भवन महापुरुषों के नाम समर्पित होनी चाहिये।
10 कॉलोनी और नगर की सफाई व्यवस्था टोटल क्वालिटी के आधार पर निश्चित करते हुए आवश्यक मानकों के साथ कूड़ेदान की व्यवस्था के साथ निश्चित की जानी चाहिए।
इस प्रकार हम दूरगामी विकास कर स्मार्ट सिटी के रूप में सुंदर दून की परिकल्पना कर सकते है। यह मात्र सांकेतिक सुझाव है जिसमे सुधार की और बहुत संभावनाएं और विचार हो सकते है। सबकुछ विचार कर ही योजना का धरातल से ही आरम्भ होना चाहिए। एक मुश्त धन का अभाव हो सकता है इसलिये योजना का कार्य क्षेत्रवार चरणों मे भी किया जा सकता है।
लेखकः-ललित मोहन शर्मा