समाज को सहिष्णुता, प्रेम, मानवता, भाईचारे जैसे पोषक तत्वों की अत्यंत आवश्यकता
-सप्ताह में एक दिन अपनी डाइट से ब्रेक जरूरीः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। शरीर को स्वस्थ, सौंदर्ययुक्त एवं आकर्षक बनाये रखने तथा समाज को अधिक आहार ग्रहण करने और अल्प आहार के विकारों के बारे में जागरूक करने हेतु प्रतिवर्ष 6 मई को ‘अन्तर्राष्ट्रीय नो डाइट डे’ मनाया जाता है। अत्यधिक व अल्प आहार ग्रहण करने के उत्पन्न शारीरिक विकारों के प्रति जागरूक करना तथा स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना आज के दिन का उद्देश्य है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि युवाओं को जिम्मेदारी के साथ प्रभावी ढंग से आहार के सही तरीके के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार सप्ताह में एक दिन अपनी डाइट से ब्रेक लेना तथा योग, ध्यान, प्राणायाम को जीवन का अंग बनाकर, स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर अनेक व्याधियों से दूर रह सकते हैं। उचित कैलोरी युक्त संतुलित भोजन, तनाव मुक्त जीवन, अत्यधिक परहेज व ज्यादा भोजन से होने वाले खतरों के प्रति युवाओं को जागरूक करना आवश्यक है। स्वामी ने कहा कि इस समय जब पूरा विश्व कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहा है ऐसे में संयमित आहार, नियमित व्यायाम, अनुशासित व्यवहार और सकारात्मक विचार जीवन में लायें तथा इस प्रकार की दिनचर्या से इम्युनिटी बढ़ेगी और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। इस अस्थिरता के दौर में जहाँ एक ओर कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी का लोगों सामना कर रहें हंै, जिससे लोगों के मन में हताश और बेहाली है वहीं दूसरी ओर लोग भविष्य के प्रति भी आशंकित हैं, ऐसे समय में समाज को सहिष्णुता, प्रेम, मानवता, भाईचारे जैसे पोषक तत्वों की अत्यंत आवश्यकता है। स्वामी ने कहा कि आज हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसके समाधान के लिये प्रकृति में हमें स्थायी निवेश करने की जरूरत है। हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा, संरक्षण और जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर प्रकृति के अनुरूप भविष्य का निर्माण करने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति का प्रकोप अन्य सारे प्रकोपों से बढ़कर होता है, मनुष्य ने अनेक बार इसका सामना भी किया है। अभी दुंनिया के सामने कोरोना रूपी जो महामारी आयी है यह चाहे प्राकृतिक आपदा हो या मानव अस्तित्व पर कुदरत का कहर या तो फिर हम इसे कुदरत की चेतावनी समझ सकते हैं परन्तु इसे प्रकृति का एक संदेश समझ कर हम प्रकृतिमय जीवन की ओर लौटे और मानव के अस्तित्व को बचाने का प्रयत्य करें।