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सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार आइटी एक्ट अधिनियम में संशोधन करने की कर रही तैयारी

नई दिल्ली। सोशल मीडिया के जरिए उन्‍मादी भीड़, दंगों को भड़काने और अफवाहें फैलाने जैसे मामलों पर लगाम कसने को सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत इस बात की व्यवस्था की जाएगी जिससे इस तरह के संदेश फैलाने वाले लोगों की पहचान सुनिश्चित हो सके। संशोधन के बाद तमाम सोशल मीडिया एप्स को ऐसे उपाय करने होंगे जिससे इस तरह के संदेशों को न केवल रोका जा सके बल्कि ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान भी की जा सके। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले सप्ताह गूगल, फेसबुक, व्‍हाट्सएप और ट्विटर जैसी कंपनियों के साथ बैठक कर आइटी एक्ट में संभावित बदलावों पर चर्चा की। हालांकि सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय ने कानून में संशोधन के लिए जो मसौदा तैयार किया है उसके मुताबिक इन कंपनियों को अपने प्लेटफार्म पर सभी तरह के गैरकानूनी संदेशों को रोकने की जिम्मेदारी होगी। व्‍हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अफवाहों भरे संदेश प्रसारित होने के बाद भीड़ की हिंसा में मारे जाने की घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद सरकार ने कानून में बदलाव करने का फैसला किया है। हालांकि इससे पहले सरकार लगातार व्‍हाट्सएप से इस तरह के संदेश भेजने वालों की पहचान बताने का आग्रह करती रही है। लेकिन व्‍हाट्सएप हमेशा निजता का हवाला देकर ऐसा करने में असमर्थता जताता रहा। सूत्र बताते हैं कि इन परिस्थितियों में सरकार ने आइटी अधिनियम में संशोधन करके इसे कानूनी प्रावधान के तौर पर शामिल करने का फैसला किया है। इन बदलावों को लेकर जतायी जा रही आशंकाओं पर सोमवार को सरकार ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता और लोगों की निजता का सम्मान करती है और इसे बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर कंटेंट को नियंत्रित नहीं करना चाहती। लेकिन सरकार चाहती है कि ये प्लेटफार्म खुद यह सुनिश्चित करें कि उनका दुरुपयोग न हो। पिछले सप्ताह ही सरकार ने किसी भी कंप्यूटर पर डाटा को इंटरसेप्ट करने और उसकी निगरानी के लिए दस एजेंसियों को अधिकृत किया था। उसे लेकर भी विपक्ष ने काफी विरोध जताया था। आइटी नियमों में प्रस्तावित संशोधनों के मुताबिक सोशल मीडिया के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराने वाली सभी कंपनियों को ऑटोमेटेड तंत्र स्थापित करना होगा जिससे अनचाहे संदेशों को प्रसारित होने से रोका जा सके। मसौदे के मुताबिक ‘इंटरमीडियरी (सोशल मीडिया प्लेटफार्म) को टेक्नोलॉजी पर आधारित ऐसे टूल्स या मैकेनिज्म स्थापित करने होंगे जो खुद से दुष्प्रचार फैलाने वाले संदेशों की पहचान कर उन्हें रोक सकें।’ मंत्रालय ने आम जनता की राय लेने के लिए इस मसौदे को मंत्रालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया है। जनता से इन प्रस्तावों पर 15 जनवरी तक राय मांगी गई है। एक अन्य प्रस्तावित संशोधन में सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को अपने यूजर्स को यह ऐसे किसी भी संदेश को अपलोड करने, शेयर करने और उसे अपने पास रखने से बचें जो घृणा या जातीय दुर्भावना फैलाते हों, अपमानजनक हों, ईश निंदा फैलाते हों या अश्लील हों।

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