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तो क्या हो गया यूके ट्रिपल एससी पेपर लीक मामले का पटाक्षेपः गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून। कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड की धामी सरकार पर जमकर हमला बोला। दसौनी ने कहा कि यूके ट्रिपल एससी पेपर लीक मामले में लगातार सीबीआई जांच की मांग के बावजूद धामी सरकार द्वारा जन भावनाओं के विपरीत जांच को एसटीएफ को सौंप दिया गया। दसोनी ने कहा शुरुआती दौर में एसटीएफ ने मुस्तैदी से काम करते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम देने में संलिप्त लोगों को गिरफ्तार भी किया।दसौनी ने कहा इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि सरकार की सुस्ती की वजह से सरकारी वकीलों की लंबी फौज होने के बावजूद सबूतों के अभाव में एक के बाद एक आरोपी जमानत पर रिहा हो गए।
दसोनी ने कहा कि धामी सरकार बड़ी चालाकी के साथ स्वयं को धाकड़ साबित करने के लिए और खुद का भ्रष्टाचार मुक्त चेहरा दिखाने के लिए घोटालों की जांच की नाटक नौटंकी करती है, आरोपियों की धरपकड़ करती है और उसके बाद धीरे-धीरे एक एक करके चोर दरवाजे से सबको रिहाई मिल जाती है।
दसोनी ने कहा की यूपी ट्रिपल एससी पेपर लीक मामले में कई भाजपा नेताओं के नामों के भी खुलासे हुए, कहीं ना कहीं इस पेपर लीक मामले में बड़े सफेदपोशों की संलिप्तता की भी संभावनाएं जताई जा रही थी ऐसे में आनन-फानन में एसटीएफ को लीड कर रहे पुलिस अधिकारी का तबादला कर दिया जाता है। दसोनी ने कहा की यूके ट्रिपल एससी मामले में सरकार अपना स्टैंड क्लियर करें। गरिमा ने पूछा कि क्या एसटीएफ चीफ के तबादले को पेपर लीक मामले के पटाक्षेप के रूप में देखा जाए ??क्या यह समझा जाए के ट्रिपल एससी मामले की जांच समाप्त हो चुकी है ??यदि ऐसा है तो फिर भर्ती परीक्षाओं में चयनित हुए युवाओं को लेकर और उनकी नियुक्ति के विषय में सरकार का क्या रोड मैप है? यह सरकार को बताना चाहिए ।दसौनी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की जनता को धामी सरकार भ्रमित करने का काम कर रही है अंकिता हत्याकांड को जिस दिन से एसआईटी को सौंपा गया है उस दिन से आज तक जांच एक भी कदम आगे नहीं बढ़ी है ,कोई नए तथ्य निकल कर सामने नहीं आ रहे हैं ।
रिजॉर्ट में रुके वीआईपी के नाम को लगातार छुपाया जा रहा है और अब यूके ट्रिपल एससी मामले में भर्ती परीक्षाएं कराने वाली कंपनी का मालिक हो या प्रश्नपत्र छापने वाली प्रेस सब बाहर आ चुके हैं तो यही लगता है कि जनता को भ्रमित करने के लिए लगातार प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार पर चोट करने का दिखावा हो रहा है और बैक डोर से आरोपियों को संरक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।
दसोनी ने कहा की जिन युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है जो 7 महीने से दर दर की ठोकर खा रहे हैं उनके विषय में धामी सरकार ने क्या निर्णय लिया है यह अभी तक सामने नहीं आया है। दसोनी ने कहा कि प्रदेश की धामी सरकार को इस पूरे प्रकरण पर संशय हटाते हुए सीधे और सपाट तरीके से अपना निर्णय प्रदेश की जनता को बताना चाहिए। यू के ट्रिपल एस सी पेपर लीक मामले ने उत्तराखंड राज्य को पूरे देश में शर्मसार करने का काम किया है ऐसे में आरोपियों पर कठोर से कठोर दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि धामी सरकार का रिमोट कंट्रोल दिल्ली से चल रहा है इसी वजह से कमजोर पैरवी के चलते सबूतों और साक्ष्यों के अभाव में आरोपों को सिलसिलेवार जमानत मिलते चली जा रही है।

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