Uttarakhand
सीफन कोर्ट मामले में कांग्रेसियों ने राज्यपाल को दिया ज्ञापन
देहरादून। सीफन कोर्ट मामले में कांग्रेसियों ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया जिसमें उन्होंने कहा कि विगत दिनों मसूरी के सीफन कोर्ट में रह रहे लगभग 80 पहाड़ी परिवारों को अतिक्रमण हटाने के नाम पर बेघर कर दिया गया था केवल रोपवे निर्माण के लिए इतने लोगों को हटाया जाना ठीक नहीं है यह लोग अंग्रेजों के जमाने से वहां पर रह रहे थे केवल विकास के नाम पर जनता का उत्पीड़न ठीक नहीं होता है प्रशासन ने इनको न्यायालय की आड़ लेकर बेघर किया अगर यह चाहते तो जैसे देहरादून की बस्तियों को न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया था पर राज्य सरकार ने उन्हें अध्यादेश लाकर बचा लिया और कहीं पर उच्चतम न्यायालय की शरण ली और बस्तियां टूटने से बच गई परंतु यहां पर सरकार ने ऐसा नहीं किया और इनको बेघर कर दिया गया अगर किसी कारण इनको हटाना भी था तो पहले इनका पुनर्वास किया जाना था और फिर इनको हटाना था आज यह लोग खुले में भटकने में रहने को मजबूर हो रखे हैं जवान बहन बेटियों ,बच्चों के संग ये लोग सड़कों में धक्के खा रहे हैं जिन जनप्रतिनिधियों को इन्होंने चुनकर भेजा वह भी इनकी मदद को आगे नहीं आए ।अतः हमारी आपके माध्यम से माननीय राज्यपाल महोदया से निवेदन है कि इन 80 परिवारों को राज्य सरकार तत्काल पांच ₹500000 मुआवजा दें और उनका पुनर्वास करें ताकि इन सर्दियों के मौसम में यह लोग सड़कों पर धक्के ना खाएं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर ना हो। सरकार को इतना संवेदनहीन नहीं होना चाहिए। यह लोग वह लोग हैं जिनकी शहा।दतो की वजह से उत्तराखंड राज्य बना है।
दूसरा जो राज्य सरकार शहीद स्थल को कचहरी से हटाना चाहती है उसका हम कड़ा विरोध करते हैं और यह मांग करते हैं कि इसको यहां से हटाया ना जाए क्योंकि शहीद स्थल से हमारी जन भावनाएं जुड़ी हुई हैं अतीत की यादें जुड़ी हुई हैं और यह राज्य की एक ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी है आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाएगा कि किस प्रकार से आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत देकर इस राज्य का निर्माण कराया ,शहीद स्थल संघर्ष की गाथा को बयान करता है इसलिए हम मांग करते हैं कि इसको तोड़ा ना जाए l
ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से मनीष कुमार नागपाल पूर्व राज्य मंत्री व संयोजक नवीन जोशी मीडिया कमेटी के चेयरमैन तथा पूर्व राज्य मंत्री महेश जोशी केंद्रीय प्रवक्ता संदीप चमोली वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील बयासी, पीयूष गौर वरिष्ठ आंदोलन कारी अजय माथुर जहांगीर खान, मोहन सिंह रावत आदि शामिल थे।