सिद्धू एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की कोशिश में हैं लेकिन पार्टी ने किया मनाः- हरजीत सिंह ग्रेवाल
चंडीगढ़ । खेल की दुनिया से राजनीति में आए पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की फिर से भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। भाजपा के सीनियर नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने दावा किया है कि सिद्धू एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की कोशिश में हैं। ग्रेवाल ने कहा कि सिद्धू ने पार्टी के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात कर भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई, लेकिन पार्टी ने इससे मना कर दिया। हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में मंत्री पद छोड़ने के बाद फिर से भाजपा में शामिल हाेना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि सिद्धू ने पिछले दिनों दिल्ली में भाजपा में एक बड़े नेता व मंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने भाजपा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की। ग्रेवाल ने बताया कि पार्टी हाईकमान ने अनुशासनहीनता के चलते सिद्धू को पार्टी में लेने से मना कर दिया है।
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा से ही अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वह भाजपा के टिकट पर अमृतसर से तीन बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। सिद्धू 2004 में गुरु नगरी की सियासी पिच पर राजनीति की पारी खेलने उतरे। सिद्धू 2004, 2007 और 2009 में भाजपा से सांसद बने। 2014 में उनका टिकट काटकर उनके सियासी गुरु अरुण जेटली दे दी गई। इसके बाद से भाजपा से उनकी नाराजगी शुरू हो गई। बाद में उनको भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य बनाया, लेकिन गुरु सिद्धू को यह रास नहीं आया। उन्होंने भाजपा पर खुद को पंजाब की राजनीति से दूर रखने का आराेप लगाते हुए 2016 में राज्यसभा की सदस्यता और भाजपा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद 28 नवंबर 2016 को कांग्रेस ने उनको पार्टी में शामिल किया। इसके बाद वह विधानसभा चुनाव में अमृतसर पूर्वी विधानसभा सीट से जीते और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। कांग्रेस में भी उनकी खटपट जारी रही और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कई बार उनका विवाद हुआ। इसी साल लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के अंतिम दिन सिद्धू द्वारा बठिंडा की जनसभा में अपने ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर पर सीधा निशाना साधने के बाद विवाद बढ़ गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सिद्धू पर पटलवार किया। इसके बाद कैप्टन ने सिद्धू को ‘नॉन परफॉर्मर मिनिस्टर’ बताते हुए शहरों में कांग्रेस की हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा था। कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू का कैबिनेट में विभाग बदल दिया और उनसे स्थानीय निकाय विभाग वापस लेकर बिजली विभाग दे दिया। लेकिन, सिद्धू ने नए विभाग का कार्यभार नहीं संभाला और करीब 40 दिन बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसे कैप्टन अमरिंदर ने स्वीकार कर लिया। बता दें कि सिद्धू ने 10 जून को राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा था और 34 दिन बाद 14 जुलाई को इस बारे में ट्वीट कर खुलासा किया था। ट्वीट के साथ उन्होंने वह पत्र भी पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को भेजा था। इसके बाद उन्होंने फिर से अपने ट्वीट में कहा था कि वह औपचारिक तौर पर अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेज देंगे। 15 जुलाई को सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर को अपना त्यागपत्र भेजा और इसे 20 जुलाई को स्वीकार किया गया।