शिवसेना के साथ सत्ता की साझेदारी के बावजूद कांग्रेस ने शपथग्रहण समारोह से बनाई दूरी
नई दिल्ली। शिवसेना के साथ सत्ता की साझेदार बनने के बावजूद कांग्रेस का शिखर नेतृत्व उद्धव ठाकरे के शपथ समारोह से दूर रहा। शिवसेना से अचानक दोस्ती को लेकर हिचकिचाहट ही रही कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की कमान संभालने का शुभकामना पत्र तो भेजा मगर शिवाजी पार्क के सत्तारोहण जलसे में तीनों शामिल नहीं हुए।
महाराष्ट्र की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे तीनो दल हालांकि सोनिया ने उद्धव को भेजे शुभकामना पत्र में यह कहकर गठबंधन के फैसले को सही ठहराया कि बेहद असाधारण परिस्थितियों में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को साथ आना पड़ा है। इसीलिए उम्मीद है कि इन हालातों में तीनों दलों की नई सरकार महाराष्ट्र की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के शिखर नेतृत्व को शपथ में बुलाने के लिए अपने विधायक बेटे आदित्य को खुद सोनिया, मनमोहन और राहुल को आमंत्रित करने के लिए गुरूवार को दिल्ली भेजा था।
पत्र के जरिए उद्धव ठाकरे को दी शुभकामनाएं सोनिया गांधी ने उद्धव से कहा कि आदित्य ने गुरूवार को न्यौता दिया था मगर वे शपथ में आने में असमर्थ हैं और इसके लिए उन्हें खेद है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने असमर्थता की वजह की कोई चर्चा नहीं की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा है कि देश का राजनीतिक वातावरण जहरीला हो गया है। अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और किसान परेशान हैं। ऐसे में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय किया है और उन्हें विश्वास है कि तीनों पार्टियां इस वादे को पूरी भावना के साथ कार्यान्वित करेंगी। सोनिया ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र की जनता गठबंधन से समावेशी, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की उम्मीद करती है और हम सभी का सामूहिक प्रयास इसे पूरा करने पर केंद्रित होना चाहिए।
पूर्व पीएम मनमोहन ने भी लिखा उद्धव को पत्र मनमोहन ने उद्धव को शुभकामना भेजते हुए उनके मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम बताया। वहीं राहुल गांधी ने भी शपथ में शामिल नहीं होने पर खेद जताते हुए उद्धव को नई सियासी जिम्मेदारी संभालने को लेकर शुभकामना पत्र भेजा। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने इसमें फडणवीस को शपथ दिलाए जाने के घटनाक्रम की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर खुशी भी जताई कि शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने साथ आकर लोकतंत्र को कुचलने के भाजपा के प्रयासों को परास्त कर दिया। उद्धव को लिखे इस पत्र में राहुल ने यह उम्मीद भी जताई है कि अघाड़ी एक स्थायी, धर्मनिरपेक्ष और गरीब हितैषी सरकार देगा।