शिववाल सिंह यादव के सेक्युलर मोर्चा का गठन करने के बाद आज अचानक मुलायम सिंह यादव पहुंचे सपा कार्यालय
लखनऊ । समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश से बाहर होने के बीच आज मुलायम सिंह यादव शाम को अचानक समाजवादी पार्टी के कार्यालय पहुंच गए। उनके समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पहुंचने से वहां पर खलबली मच गई है।शिववाल सिंह यादव के कल ही सेक्युलर मोर्चा का गठन करने के बाद आज अचानक मुलायम सिंह यादव के सपा कार्यालय पहुंचने को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस दौरान समाजवादी कुनबे में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव का आज अचानक सपा कार्यालय आना राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाने के इशारे कर रहा है। अखिलेश यादव यादव की आज लखनऊ में गैरमौजूदगी में मुलायम सिंह यादव के समाजवादी पार्टी ऑफिस पहुंचने से कई तरह की चर्चाएं की जा रही हैं। बताया जा रहा है कि वह एक शोकसभा में उपस्थित होने के लिए गए थे। राज्यसभा के पूर्व सांसद दर्शन सिंह का निधन हो गया है। इसी कारण आज सपा ऑफिस पर शोकसभा का आयोजन किया गया था। मुलायम सिंह यादव जब सभा को संबोधित कर रहे थे तभी उनसे समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को लेकर सवाल पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी नहीं। अखिलेश यादव उत्तराखंड के दौरे पर गए हुए हैं। ऐसे में मुलायम सिंह का समाजवादी पार्टी के ऑफिस पहुंचना सभी को इसलिए हैरान कर रहा था क्योंकि माना जा रहा है कि वो शिवपाल का साथ देने वाले हैं। इससे पहले पिछली बार भी इस समाजवादी झगड़े में शिवपाल सिंह यादव के साथ ही खड़े दिखे थे।
शिवपाल यादव ने दी बेटे अादित्य को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत
वहीं शिवपाल यादव ने अाज अपनी नई पार्टी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद के एक दिन बाद ही फार्म में आ गए। उन्होंने विस्तार का काम तेज कर दिया है। पार्टी में बेटे आदित्य को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, इसका संकेत शिवपाल सिंह यादव ने दे दिया है। शिवपाल सिंह यादव के जितने भी समर्थक समाजवादी पार्टी में हैं, उनके बीच भी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की चर्चा शुरू हो गई है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में पार्टी को विस्तार देने के लिए शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव आज कानपुर आ रहे हैं। वह कई स्थानों पर समर्थकों के साथ बैठक भी करेंगे।समाजवादी पार्टी की मुख्य धारा से जिस समय शिवपाल यादव को किनारे किया गया था, उसी समय से उनके समर्थक दो राहे पर चल रहे थे। किधर जाना है इसके लिए वे अपने नेता के फैसले का इंतजार रहे थे।