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शेवनिंग इंडिया की प्रमुख सुप्रिया चावला ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के समक्ष रखा प्रस्ताव

देहरादून।  सूबे के राजकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत 10 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को ब्रिटिश हाई कमीशन द्वारा प्रदान की जाने वाली शेवनिंग स्कॉलरशिप दी जायेगी। जिससे स्कॉलशिप पाने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शोध व उच्च शिक्षा ग्रहण करने का सुनहरा अवसर मिलेगा। शेवनिंग स्कॉलरशिप की कंट्री हेड सुप्रिया चावला ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से मुलाकात कर इस संबंध में विस्तृत चर्चा की।
      सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके शासकीय आवास पर शेवनिंग स्कॉलरशिप को लेकर बैठक हुई। जिसमें शेवनिंग स्कॉलरशिप की कंट्री हेड सुप्रिया चावला ने स्कॉलरशिप को लेकर जानकारी साझा की। डॉ. रावत ने बताया कि वैश्विक छात्रवृत्ति योजना अपने आप में अनूठी है और राज्य के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं का इसका लाभ अवश्य मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश के राजकीय शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत 10 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को शेवनिंग स्कॉलरशिप देने का निर्णय लिया गया है। जिसमें पांच छात्र तथा पांच छात्राएं शामिल होंगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर एक माह के भीतर सरकार को सौंपने के निर्देश दे दिये गये हैं।
       विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि ब्रिटिश सरकार विगत चार दशकों से दुनियां के 160 देशों के प्रतिभाशाली छात्र-छात्रों को शेवनिंग छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है जो कि उल्लेखनीय पहल है। इस स्कॉलरशिप के तहत छा़त्रों को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश दिया जाता है। इन विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिये आमतौर पर रू0 40 लाख प्रति छात्र खर्च आता है। जिसे स्कॉलरशिप के तहत शेवनिंग इंडिया तथा राज्य सरकार 50-50 फीसदी वहन करेंगे।
      शेवनिंग स्कॉलरशिप की कंट्री हेड सुप्रिया चावला ने बताया कि यह एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना है, जो दुनिया भर के उत्कृष्ट व्यक्तियों को वित्तीय सहायता और नेतृत्व विकास के अवसर प्रदान करता है। इस योजना का वित्त पोषण राष्ट्रमंडल कार्यालय और भागीदार संगठनों द्वारा किया जाता है। इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य के नेताओं, शोधकर्ताओं, प्रभावशाली लोगों और नीति-निर्माताओं को मुख्यधारा में लाना है। संगठन द्वारा लाभार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वदेश लौटकर यूके में अपने समय के दौरान प्राप्त ज्ञान और कौशल का उपयोग राष्ट्र के विकास में करें।

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