उत्तरप्रदेश

शाहबेरी इमारत हादसे में से निकाले गए 9 शव, नहीं बची किसी के जिंदा होने की उम्मीद

नोएडा । ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित शाहबेरी गांव में मंगलवार रात धराशायी दो इमारतों के मलबे से एक और शव निकाला गया। मामले में पुलिस ने दो अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है। एनडीआरएफ की टीम को मलबे में अब किसी के जिंदा होने की उम्मीद नहीं बची है। जिसे देखते हुए बृहस्पतिवार को मलबा हटाने के काम में तेजी लाई गई। मेरठ मंडल कमिश्नर अनीता मेश्राम व जिलाधिकारी बीएन सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर मुआयना किया। मामले में दोषी लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

एनडीआरएफ की टीम का बचाव अभियान लगातार तीसरे दिन जारी रहा। दिन में लगभग बाहर बजे तक टीम को यह उम्मीद थी कि मलबे में कोई व्यक्ति जिंदा दबा हो सकता है। इस कारण टीम बहुत ही एहतियात से अभियान चला रही थी। लेकिन जैसे-जैसे दिन ढलता गया मलबे में किसी के जिंदा होने की उम्मीद कम होती गई। इसके बाद टीम ने अभियान में तेजी लाई। मलबा हटाने के लिए चार जेसीबी व एक पोकलेन मशीन लगाई गई थी। बाद में एक पोकलेन मशीन और मंगाई गई। जिसके बाद मलबा हटाने के काम में तेजी आई। शाम तक लगभग सत्तर फीसद तक मलबा हट गया। टीम ने शुक्रवार सुबह तक पूरा मलबा हट जाने की उम्मीद जताई है। इस मामले में पुलिस ने अबतक 24 लोगों के खिलाफ नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बुधवार तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था। बृहस्पतिवार को पुलिस ने दो अन्य आरोपित कासिम व श्याम जी पाठक को गिरफ्तार किया। दोनों ब्रोकर हैं। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही है।

शासन ने एक अफसर का तबादला किया, कई और पर भी गिरेगी गाज

शासन ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक परियोजना केके सिंह का तबादला कर दिया है। उन्हें यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कार्यालय से अटैच किया गया है। महाप्रबंधक परियोजना होने के नाते उन पर शहर में अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी थी, लेकिन वे शाहबेरी गांव में अवैध इमारतों का निर्माण रोकने में विफल रहे। इससे पहले शासन ने अतिक्रमण हटाओ विभाग की मुखिया ओएसडी विभा चहल का भी तबादला कर दिया था। शाहबेरी सर्किल के प्रबंधक वीपी सिंह व सहायक प्रबंधक अख्तर अब्बास जैदी को निलंबित किया जा चुका है। बताया जाता है कि शहर में अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी कई अधिकारियों के कंधों पर होती है। एक-एक कर उन सब पर गाज गिरना तय है।

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