कोरोना से उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों को बचाने के लिए केंद्र सेना भेजेंः धीरेंद्र प्रताप
देहरादून। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक पूर्व मंत्री और उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने उत्तराखंड के सीमांत जनपदों में व राज्य के ग्रामीण अंचलों को कोरोना के दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ते प्रभावों से बचाने के लिए केंद्र से सेना भेजने की मांग की है। उत्तराखंड की सरकार पर राज्य के शहरी इलाकों तक के लोगों की जीवन सुरक्षा करने में विफलता का आरोप लगाते हुए धीरेंद्र प्रताप ने आज यहां कहा कि उत्तराखंड के लोग आजादी से पहले और आजादी के बाद भी देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए और देश के विकास के लिए अपने महत्वपूर्ण योगदान और त्याग के लिए जाने जाते रहे हैं। आज हालत यह है कि पिथौरागढ़ से लेकर चमोली तक और रुद्रप्रयाग से लेकर चंपावत तक राज्य में एक भी ढंग का अस्पताल नहीं है और जो अस्पताल हल्द्वानी रुद्रपुर देहरादून श्रीनगर या पौड़ी में भी बनाए गए हैं जिन्हें बेस अस्पताल कहा जाता है ।राज्य की शहरी जनता का तो क्या पूरे राज्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में पूरी तरह से फेल हो गए हैं।
उन्होंने कहा इस पर करेला पर नीम चढ़ा जब राज्य में पिछले 4 सालों में दो जोकर मुख्यमंत्री केंद्र के द्वारा उत्तराखंड में भेजे गए हैं। जिन्हें ना तो राज्य चलाने का कभी कोई अनुभव दिखाई दिया और जिन्होंने कभी भी राज्य की जनता को स्वास्थ्य शिक्षा भोजन पानी और सड़क तक के मुख्य अधिकारों को दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । जिसका नतीजा है कि आज राज्य के सीमांत अंचलों में और ग्रामीण क्षेत्रों में दवा वेंटीलेटर ऑक्सीजन की कमी से लोग तिल तिल कर मर रहे हैं औरराज्य सरकार हवाई दौरों में लगी है। मृतकों के आंकड़ों का संकलन करने की बजाय आंकड़ों को छुपाया जा रहा है और लोगों की मौतों की सरकार में कोई कीमत नहीं देगी रह गई है बेशर्म मंत्री अखबारों में अपने खबरें छपाने में व्यस्त हैं। बजाय लोगों की जान बचाने में प्रतिद्वंद्विता करते वह आज अपनी झूठी प्रशंसा के पुल बांधने से अघाते नहीं दिखते।
आज राज्य भर के आंदोलनकारियों के वीडियो कॉन्फ्रेंस गोष्ठी को संबोधित करते हुए जब धीरेंद्र प्रताप ने आंदोलनकारियों के सम्मुख राज्य सरकार से तमाम लोगों को कोरोना काल तक मुफ्त बिजली मुफ्त पानी और मुफ्त राशन का प्रस्ताव रखा तो ऐसे प्रस्ताव को पास करने में 2 मिनट भी नहीं लगे। ढाई घंटे से ज्यादा चली इस कॉन्फ्रेंस को 3 दर्जन से अधिक वक्ताओं ने संबोधित किया जिनमें पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरि कृष्ण भट्ट केंद्रीय संयोजक व पूर्व राज्य मंत्री मनीष कुमार नागपाल, महिला शाखा की अध्यक्ष सावित्री नेगी दिल्ली शाखा के अध्यक्ष मनमोहन शाह संरक्षक अनिल पंत केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विजेंद्र पोखरियाल और अनिल जोशी केंद्रीय उपाध्यक्ष अरुणा थपलियाल विशंभर खक रियाल समेत कई महत्वपूर्ण नेताओं जिनमें पूर्व राज्य मंत्री हरीश पनेरु डॉ केदार पलाडिया चंद्रशेखर कपुरवान, उत्तराखंड क्रांति दल के नेता महेंद्र सिंह रावत और ब्रह्मानंद डालाकोटी टिहरी जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट खटीमा की जानी-मानी आंदोलनकारी जानकी गोस्वामी रुद्रप्रयाग से राज्य आंदोलनकारी व कांग्रेस प्रवक्ता सूरज नेगी वह ईश्वर बिष्ट ऋषिकेश से राज्य आंदोलनकारीकारी देवी प्रसाद व्यास कोटद्वार से क्रांति कुकरेती पिथौरागढ़ से महेंद्र लुठी चंपावत से नवीन मुरारी रुड़की से सोनू सिंह हरिद्वार से विजय भंडारी, हांजी राव मुन्ना और सुरेंद्र सैनी देहरादून से महेश , विशंभर बोठियाल, रामनगर से नवीन नैथानी और मनीष कुमार नैनीडांडा से डॉक्टर नरेंद्र गौनियाल समेत तमाम नेताओं ने राज्य की बिगड़ती करो ना स्थिति पर गहरी दुख और चिंता का इजहार किया और तिल तिल कर मरते लोगों पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से एकमुश्त तत्काल उत्तराखंड को सेना के हवाले किए जाने की मांग की इस बैठक में राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य भर में दवाओं की कालाबाजारी को निशाना बनाया और निजी अस्पतालों में हजारों रुपए की दर से महंगे इलाज पर सरकार से रोक लगाए जाने की मांग की है राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि वह राज्य की जनता की रोज हो रही मौतों को लेकर सड़कों पर आना चाहते हैं परंतु वह किसी राजनीति के आरोपों से बचने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं।