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वर्तमान समय में स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता” विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित  

नरेन्द्रनगर। धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविद्यालय नरेन्द्र नगर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वाधान में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर “वर्तमान समय में स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता” विषय पर भाषण प्रतियोगिता एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी का शुभारम्भ कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डा. उमेश चंद मैठानी ने माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित और दीप प्रजव्लित कर किया गयाप् डॉ मैठाणी ने छात्र/छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में स्वामी विवेकानंद जी एक ऐसे महापुरुष के रूप में है जो ज्ञान और उम्मीदों से भरें है उन्होंने यह साबित किया है कि बैगेर देह के भी वे हर जगह के लोगों को हर वक्त प्रेरित करते रहेगें, हमें भी उनके विचारों को अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिये।
एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संजय कुमार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभी को स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस की शुभकामनायें दी, साथ ही कहा कि “यदि आप भारत को जानना चाहते है तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए” लेकिन यह जानने भर की बात नही है, देश की समस्यायों जैसे गरीबी, अशिक्षा ,खेती और महिला सशक्तिकरण आदि  के लिहाज से स्वामी जी के विचार उनके जाने के एक सदी बाद प्रासंगिक बने हुए हैंप् स्वामी जी युवाओं के हमेशा प्रेरणा श्रोत रहे, उन्होंने राष्ट्र निर्माण में युवाओं का आवाह्न करते हुए कहा था कि युवा चरित्र निर्माण से उन्नत समाज और समर्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं, तो आइये हम सब मिलकर उनके बताये रास्ते पर आगे बढ़ें और एक शिक्षित,उन्नत समाज और समर्थ भारत के निर्माण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देंप्
इस अवसर पर हिंदी विभाग के डॉव जितेन्द्र नौटियाल ने कहा कि भारत की भूमि आदिकाल से ही महान रत्नों को पैदा करती रही है जिन्होंने अपने विचारों से विश्व का मार्ग दर्शन कियाप् स्वामी जी इसी अदिव्तीय ज्ञान सम्पदा से परिपूर्ण महान प्रकाशपुंज है,स्वामी जी एक महान दार्शनिक होने के साथ उत्क्रष्ट शिक्षाविद भी थे, उनके अनुसार सार्थक जीवन जीने के लिए उसके विभिन्न आयामों जैसे शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक और अध्यात्मिक विकास पर ध्यान देना होगाप् और कहा कि आज की यह आवश्यकता है कि हम स्वाभिमान,स्वावलम्बन,सद्भाव और सामाजिक समरसता को देश और समाज हित में बढ़ाने का काम करें।
वही इतिहास विभाग की डॉव ईरा सिंह ने कहा कि आज जब दुनिया में हर मौलिक वस्तुओं का बाजारीकरण हो रहा है, इसलिए वर्तमान भौतिकतावादी युग में विवेकानंद जी की विचारधारा की प्रासंगिकता कई गुना बढ़ जाती हैप् आज भौतिक सुख सुविधाओं की बहुलता के बावजूद बढ़ते एकाकीपन और तनाव के माहौल में स्वामी जी हमें जीवन के असली मकसद और अध्यात्मिक शांति की ओर अग्रसर रहने को प्रेरित करते हैप्
डॉव विक्रम बर्त्वाल ने कहा कि आज 21वीं सदी में हमारे जीवन में मौजूद सभी चुनौतियों का समाधान स्वामी विवेकानंद जी के दर्शन में हैं, उनका दर्शन न सिर्फ इस सदी में बल्कि युग- युगांतर तक प्रासंगिक और प्रेरणादायी बना रहेगा।
भाषण प्रतियोगिता में अंजलि (बीएससी प्रथम वर्ष) प्रथम स्थान, जबकि दिव्तीय एवं तृतीय स्थान पर क्रमशः तनवीर आलम (बीए दिवितीय वर्ष) और तुषार अरोड़ा रहें। कार्यक्रम में डॉव विजय प्रकाश भट्ट, डॉव संजय महर, डॉव सुधा रानी, डॉव सोनी तिलारा, डॉव रश्मि उनियाल, डॉव हिमांशु जोशी, डॉव नताशा, डा. चन्दा नौटियाल, डॉव चेतन भट्ट, श्रमहावीर सिंह रावत, बबिता भट्ट, मुकेश रावत, अजय, गिरीश जोशी, मुनेन्द्र, शीशपाल, भूपेंद्र, मनीष, जय्ानेंद्र एवं छात्र/छात्राओं में अमीषा शर्मा ,कोमल कैंतुरा, प्रतीक पाल, अंजलि नेगी, आरती, नेहा जोशी, मुस्कान,रोहित,जयशर्मा,अंकिता, आंचल, आस्था, शिवानी, रिया, मानशी,  सार्थक, विश्वास, शंकर, रानी, अनिशा,  आरती, अंकिता , शिवानी, आकाश, गायत्री, आयुष, शिवांग, कावेंद्र, आदि स्वंयसेवी  उपस्थित रहे।

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