विश्व आईपीआर दिवस समारोह के उपलक्ष्य में, डीआईटी विश्वविद्यालय में संगोष्ठि आयोजित
देहरादून। देहरादून के आईपीआर सेल ने बौद्धिक संपदा अधिकारों पर एक दिवसीय आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का थीम विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के विषय के अनुसार था, अर्थात बौद्धिक संपदा का तात्पर्य लघु और मध्यम उद्यम अपने विचारों को बाजार तक कैसे ले जा सकते है। यह आयोजन कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यूनिवर्सिटी (कराड, महाराष्ट्र), सी एस जे एम यूनिवर्सिटी (कानपुर, यूपी) और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (झांसी,यूपी) के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस सहयोगी कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य आईपी सुरक्षा के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, राष्ट्र भर में आईपी संरक्षण के प्रभाव का विस्तार करना, आईपी सुरक्षा कानूनों और नियमों को लोकप्रिय बनाना, आईपीआर की सार्वजनिक कानूनी जागरूकता को बढ़ाना, आविष्कार-नवाचार गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और राष्ट्रीय विनिमय को मजबूत करना था।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ रंजीत सिंह (वाईसचांसलर, शोभित विश्वविद्यालय) ने किया। इस संगोष्ठी में मुख्य संबोधन डॉ उमेश बनाकार (प्रोफेसर और अध्यक्ष, बनकर कंसल्टिंग सर्विसेज, वेस्टफील्ड, यूएसए) ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीआईआईईएस, डीआईटी विश्वविद्यालय, देहरादून के निदेशक उमेश सी अग्रवाल ने की। इस कार्यक्रम का आयोजन डीआईटी विश्वविद्यालय देहरादून के आईपीआर सेल के प्रमुख डॉ एच आर चितमे ने किया। समीर भार्गव और डॉ राजीव कुमार शर्मा ने इस कार्यक्रम के समन्वय मे मदद की। इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से 50 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन भाग लिया था, जिसमे ंछात्र, संकाय, उद्योग से व्यक्ति और स्टार्टअप शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वक्ताओं द्वारा किया गया जिन्होंने आईपीआर के विभिन्न पहलुओ ंपर बात की। सेमिनार में भाग लेने के बाद प्रतिक्रिया देने वाले सभी प्रतिभागियों का भागीदारी की उनको प्रमाणपत्र दिया गया। डॉ दिवाकर गोली,एफएफएलईएस विश्वविद्यालय, अलवर के कुलपति व लेदिक्टोर्य समारोह मंे मुख्य अतिथि थे। डॉ मंशास्वामी समारोह की मास्टर थीं।