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एसबीआई लाइफ की स्तन कैंसर जागरूकता पहल

देहरादून। अक्टूबर के महीने को अंतर्राष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाए जाने के चलते, एसबीआई लाइफ ने स्तन कैंसर से लड़ने के लिए स्वयं-स्तन जांच की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस महीने थैंक्स-ए-डॉट पहल शुरू की। इसमें कोई शक नहीं है कि दुनिया भर में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम बीमारी है। यह अब भारत में सबसे आम कैंसर में से एक बन गया है। उद्योग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 4 मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर का पता चलता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस संबंध में डॉक्टर से परामर्श लेने हेतु जाने वाली लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं पहले से ही तीसरे चरण में पहुँच चुकी होती हैं, और 15-20 प्रतिशत महिलाएं चौथे चरण में जा चुकी होती हैं जिसके चलते उनके जीवित रहने की दर बेहद कम होती है।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने अपने थैंक्स ए डॉट स्तन कैंसर जागरूकता पहल को आगे बढ़ाना जारी रखा है। लगातार चौथे वर्ष, थैंक्स ए डॉट स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और जल्दी गांठ का पता लगाने के लिए स्व-स्तन जांच के महत्व को बढ़ावा देकर भारत की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर है। कंपनी की योजना कई डिजिटल माध्यमों में भी पहल की है ताकि स्तन कैंसर के बारे में चर्चा को प्रोत्साहन दिया जा सके और यह बताया जा सके कि किस तरह से जीवन-रक्षक कौशल अपनाते हुए व्यवहार में बदलाव लाने ने से जीवन बचाने में मदद मिल सकती है। लंबे समय से चली आ रही इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को स्वयं से स्तन की जांच को नियमित आदत बनाने के लिए राजी करना है ताकि गांठ का जल्द पता लगने से जिंदगियां बचाई जा सकें।
इस अभियान के बारे में बताते हुए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के चीफ ऑफ ब्रांड, कॉर्पाेरेट कम्यूनिकेशन एवं सीएसआर, रवींद्र शर्मा ने कहा कि भारत में महिलाएं अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के बजाय अपना ज्यादा समय अन्य जिम्मेदारियों के निर्वाह में गुजार देती हैं। स्तन कैंसर भारत और दुनिया में महिलाओं को प्रभावित करने वाला सबसे सामान्य कैंसर है, इसलिए इस बारे में सभी के लिए जागरूक होना महत्वपूर्ण है। इस विषय से जुड़ी चर्चा को प्रोत्साहन देने और महिलाओं को उनके सुविधानुसार लेकिन नियमित अंतराल पर स्वयं से स्तन की जांच करते रहकर व्यवहार में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करने की निरंतर आवश्यकता है। पहल पर टिपण्णी करते हुए देन्त्सू क्रिएटिव/डब्ल्यूएटीकंसल्ट के मैनेजिंग पार्टनर साहिल शाह ने बताया, महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने पर लगायी जाने वाली सांस्कृतिक पाबंदियों की वजह से भारत में ब्रेस्ट कैंसर की केसेस तेज़ी से बढ़ रही हैं।

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