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सावरकर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगाः-शिवसेना

नई दिल्‍ली/मुंबई। महाराष्‍ट्र की राजनीति में वीर सावरकर को लेकर घमासान बढ़ गया है। दिल्‍ली के रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की भारत बचाओ रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं मर जाऊंगा, लेकिन माफी नहीं मांगूगा। मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है बल्कि राहुल गांधी है।’ वहीं महाराष्‍ट्र सरकार में कांग्रेस को सहयोगी बनाने वाली  शिवसेना ने कड़ा संदेश दिया। उसने कहा है कि सावरकर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

       राहुल गांधी के सावरकर का नाम लेकर दिए बयान पर शिवसेना ने प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट कर कहा है कि ‘सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के नहीं, बल्कि पूरे देश के हैं। नेहरू-गांधी की तरह सावरकर ने भी देश के लिए अपना जीवन लगा दिया, सावरकर का सम्मान होना चाहिए। ऐसे हर महानायक का सम्मान करने की जरूरत है। शिवसेना नेता ने कहा कि वीर सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए भगवान की तरह हैं। सावरकर के नाम पर आत्मसम्मान है, साथ ही देश को भी गर्व है। इस बात पर हम कोई समझौता नहीं कर सकते। जय सिंह।’  ऐसे में सवाल यह है कि महाराष्‍ट्र में बेमेल विचारों के बंधन की सरकार आखिर कितने दिनों तक चलेगी। ऐसे में टकराव आगे भी होते रहेंगे।

      ज्ञात हो कि दुष्‍कर्म को लेकर झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में राहुल गांधी के दिए बयान को लेकर भाजपा की महिला सांसदों ने शुक्रवार को संसद में काफी हंगामा किया था। उनसे पूरे देश से माफी मांगने की मांग की थी। इसके बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से भी शिकायत की। राहुल ने आज रामलीला मैदान की रैली में इसी पर जवाब दिया है।

गांधी होने से कोई महात्मा गांधी नहीं बन जाता: फडणवीस   इसके बाद महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर पलटवार किया है। फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से दिया गया बयान पूरी तरह से निंदनीय है।  राहुल गांधी सावरकर के नाखून के बराबर भी नहीं हैं और खुद को ‘गांधी’ समझने की गलती उन्हें नहीं करनी चाहिए। केवल आखरी नाम गांधी होने से कोई महात्मा गांधी नहीं बन जाता है।  फडणवीस ने कहा है कि सावरकर ने अपनी जीवन की आहुति मातृभूमि के लिए दी। सब कुछ त्याग किया। उन्हें अंडमान जेल की कोठरी में 12 साल तक यातना का सामना करना पड़ा, राहुल गांधी 12 घंटे भी नहीं कर सकते। उनके खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना, देश के लिए सब कुछ त्याग करने वाले तमाम देशभक्तों का अपमान है। इसके लिए राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए।

शिवसेना हो गई नरम  उन्‍होंने कहा कि शिवसेना को सत्ता में बने रहने के लिए लोगों से जिस तरह का व्यवहार करना पड़ता है वह बहुत स्पष्ट है। सावरकर जी का अपमान महाराष्ट्र और देश कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। पहले शिवसेना बहुत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करती थी, अब वे नरम क्यों हो गए हैं?

वीर सावरकर को भारत रत्‍न देने की हो रही मांग  महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने वीर सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने की मांग की थी। उसके बाद देश भर में सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने की मांग तेज हो गई। इसके साथ ही यह बहस तेज हो गई है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को उतना महत्व नहीं दिया गया, जिसके वे हकदार हैं। हालांकि सावरकर का एक वीर योद्धा और इतिहास लेखक के रूप में सम्मान इंदिरा गांधी भी करती थीं। मई 1970 में इंदिरा गांधी ने सावरकर पर डाक टिकट जारी करते हुए कहा था, ‘हम सावरकर के खिलाफ नहीं हैं। वे जीवन भर जिस हिंदुत्ववादी विचार का समर्थन करते रहे, हम उसके जरूर खिलाफ हैं।’अब राहुल गांधी बार-बार सावरकर का नाम लेकर उनकी आलोचना करते हैं कि उन्‍होंने कारावास से बचने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी।

देश की आजादी के लिए किया संघर्ष  ज्ञात हो कि वह सावरकर ही थे, जिन्होंने 1857 को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया। सावरकर ने मराठी व अंग्रेजी में ‘1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ शीर्षक से इतिहास-पुस्तक लिखी। सावरकर ने ही लंदन में पहली बार सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन संगठित कर सक्रिय किया। बाल गंगाधर तिलक और श्याम कृष्ण वर्मा ने उन्हें बैरिस्टर की शिक्षा लेने के बहाने 1906 में क्रांतिकारी आंदोलन को हवा देने की दृष्टि से लंदन भेजा था। तिलक उनसे इसलिए प्रभावित थे, क्योंकि सावरकर 1904 में ही ‘अभिनव भारत’ नाम से एक संगठन अस्तित्व में ले आए थे। आजादी के लिए संघर्षरत सावरकर को 24 सितंबर 1910 को दोहरे आजीवन कारावास की सजा दी गई और उन्हें अंडमान-निकोबार की कालापानी जेल भेज दिया गया। यहां की काल-कोठरी में अमानवीय अत्याचार भोगते हुए उन्होंने करीब एक दशक यातनापूर्ण जीवन गुजारा। तत्पश्चात माफीनामा लिखकर उन्होंने जेल से मुक्ति पाई।लंदन जाने से पहले इसका दायित्व उन्होंने अपने बड़े भाई गणेश सावरकर को सौंप दिया था।

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