Uttarakhand

सतत विकास के लिए तैयार होगा हिमालयन ड्राफ्ट, मसूरी में 28 जुलाई को होगा हिमालयन कान्क्लेव

देहरादून । हिमालयी संस्कृति, आर्थिकी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए सभी हिमालयी राज्य एक मंच पर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल पर हो रहे हिमालयन कान्क्लेव में भारत के सभी हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री, अधिकारी, विशेषज्ञ व हिमालय के संरक्षण पर मंथन करेंगे। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी इसमें शामिल होने पर अपनी सहमति दी है। शासन द्वारा 28 तारीख को मसूरी में प्रस्तावित हिमालयन कान्क्लेव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत : ‘‘हिमालयन कान्क्लेव में हिमालयी राज्यों की समस्याओं व उनके समाधान के लिए गहनता से मंथन किया जाएगा। यह मंथन भविष्य में हिमालयी राज्यों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगा। इससे नीति आयोग व वित्त आयोग को हिमालयी राज्यों की वास्तविक स्थिति को जानने में आसानी रहेगी।’’

उत्तराखण्ड में पहली बार हो रहा है हिमालयी राज्यों का कान्क्लेव  उत्तराखण्ड में पहली बार हिमालयी सरोकार से जुड़े कान्क्लेव का आयोजन हो रहा है जिसमें तमाम हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, प्रशासकों, अधिकारियोंं व विशषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया जाएगा। इसमें मुख्यतः उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, आसाम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम व मणिपुर राज्यों के मुख्यमंत्री व प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे। व्यापक विचार विमर्श के बाद एक हिमालयन ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा जो कि नीति आयोग को प्रेषित किया जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय के इको सिस्टम का संरक्षण  बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय संस्कृति व सभ्यता के मूल स्त्रोत हिमालय व यहां की जीवनदायिनी नदियों पर संकट मंडरा रहा है। हिमालयी इकोलॉजी की रक्षा के साथ कैसे विकास का लाभ यहां के लोगों तक पहुंचाया जा सकता है, कान्क्लेव का मुख्य एजेंडा रहेगा। हिमालय के संसाधनों का उपयोग कैसे यहां की अर्थव्यवस्था को उन्नत करने में किया जा सकता है ताकि यहां के युवा को रोजगार के लिए पलायन न करना पड़े। हिमालय भारतीय सभ्यता का केंद्र बिंदु तो है ही, इसका सामरिक महत्व भी काफी ज्यादा है। सभी हिमालयी राज्यों की सीमाएं दूसरे देशों से जुड़ी हुई हैं। इस दृष्टि से भी कान्क्लेव में चर्चा की जा सकती है।
जल संरक्षण व जल संवर्धन पर भी रहेगा फोकस  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति मंत्रालय बनाकर जल संरक्षण व जल संवर्धन की बड़ी पहल की है। इसमें हिमालयी राज्यों की सहभागिता बहुत जरूरी है। ग्लेशियरों, नदियों, झीलों, तालाबों व वनों को ग्लोबल वार्मिंग से बचाना भी कान्क्लेव का प्रमुख एजेंडा रहेगा।
सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बनेगी कार्ययोजना  एक ओर जहां हिमालय का संरक्षण जरूरी है वहीं यहां के दूरदराज के गांवों में आधारभूत सुविधाओं का विकास कर स्थानीय लोगों के लिए आजीविका उपलब्ध करवाना भी आवश्यक है। इसके लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देना होगा। कान्क्लेव में हिमालयी राज्यों में सतत विकास की कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।
नीति आयोग को सौंपा जाएगा ड्राफ्ट  हिमालयन कान्क्लेव में वैचारिक मंथन के बाद प्राप्त निष्कर्षों को एक ड्राफ्ट का रूप देते हुए नीति आयोग को सौंपा जाएगा। इससे नीति आयोग को हिमालयी राज्यों के लिए नीति निर्धारण करने में मदद मिलेगी। नीति आयोग को हिमालयी राज्यों की आकांक्षाओं, आवश्यकताओं व क्षमताओं के बारे में पता चलेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button