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कोविड संक्रमण के पश्चात ठीक हुये मरीजों को पौधे देकर किया जा रहा विदा

-प्लानेट को केन्द्र में रखकर करें प्लानः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘मिशन आॅक्सीजन’ की शुरूआत की। कोविड-19 संक्रमण के पश्चात ठीक होकर घर लौटने वालों को पौधे देकर विदा किया जा रहा है। मिशन आॅक्सीजन परमार्थ निकेतन की एक अद्भुत पहल है। ज्ञात हो कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के 70 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर उन्होंने 70 हजार पौधों के रोपण का महासंकल्प लिया गया था। पूज्य मोरारी बापू ने चित्रकूट में हो रही मानस कथा के माध्यम से इस संकल्प की श्रेष्ठता को दोहराते हुये पौधारोपण करने हेतु श्रद्धालुओं को प्रेरित किया। मानस कथाकार मुरलीधर और अन्य पूज्य संतों ने भी इस महासंकल्प के विषय में व्यासपीठ से सभी भक्तों को संदेश देते हुये पौधारोपण हेतु प्रेरित किया।
कोविड-19 की जंग जीत कर घर वापस लौटने वालों को ‘मिशन आॅक्सीजन’ के तहत हरित भेंट स्वरूप परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से एक-एक पौधा भेंट किया जा रहा है। मिशन आॅक्सीजन अभियान की शुरूआत ऋषिकेश के अस्पतालों से की गयी। इस हेतु सभी बहुत उत्साहित भी है। इस अभियान को विस्तार देते हुये प्रदेश के कोविड केयर अस्पतालों और कोविड केयर सेन्टर्स के लिये भी यह योजना बनायी जा रही है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जो कोविड को मात देकर लौट आये हैं उनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने अपनी एक-एक श्वास के लिये संघर्ष किया होगा और उनके परिवार वालों ने आॅक्सीजन सिलेण्डर के लिये अथक परिश्रम किया होगा अतः वे सभी आॅक्सीजन की महत्ता को अच्छे से समझते हैं। ऐसे में वे पौधों का रोपण और संरक्षण अच्छे से कर सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि हम सभी को यह समझना होगा कि जंगल है तो जीवन है, पेड़ है तो वायु है, वायु है तो आयु है, आयु है तो जीवन है इसलिये पौधा रोपण को पायलट प्रोजेक्ट की तरह करना होगा और इस हेतु सभी को जुटना होगा। हमारी वास्तविक संपत्ति हमारी प्रकृति है। प्रकृति है तो संस्कृति और संतति है इसलिये मिशन आॅक्सीजन को अपना ध्येय बनाना होगा। हम सब को प्रकृति से जुड़े रहना होगा वह भी प्रकृति के मालिक बनकर नहीं बल्कि माली बनकर सेवा करनी होगी, नहीं तो यह सम्पूर्ण मानवता के लिये बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है। स्वामी ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि हम केवल प्रकृति के संरक्षक हैं स्वामी नहीं इसलिये हमारा पहला धर्म है कि हम प्रकृति की देखभाल करें। हमारे पास किसी भी कार्य को करने का प्लान ए या प्लान बी भी हो सकता है परन्तु प्लानेट तो केवल एक ही है इसलिए हमें अपने प्लानेट का ध्यान रखना होगा और उसे केन्द्र में रखकर ही सारे प्लान करने होंगे। आओ सब मिल करें पौधारोपण।

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