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संविधान की सफलता भारत के लोगों और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करती है

नई दिल्ली। वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर संविधान-सम्मत प्रक्रियाओं का पालन करने को संवैधानिक नैतिकता को ‘सार-तत्व’ करार देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारे संविधान में लोकतंत्र का दिल धड़कता है। इसी जीवंतता को बनाये रखने के लिए इसमें संशोधनों का भी प्रावधान किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा- संविधान की मर्यादा, गरिमा और नैतिकता के अनुरूप काम करें  राष्ट्रपति ने कहा कि देश में हर प्रकार की परिस्थिति का सामने करने के लिए संविधान सम्मत रास्ते उपलब्ध हैं। इसलिये संविधान की मर्यादा, गरिमा और नैतिकता के अनुरूप काम करें।

17वीं लोकसभा में 78 महिलाओं का चुना जाना लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपलब्धि  कोविंद ने कहा कि सत्रहवीं लोकसभा में 78 महिलाओं का चुना जाना हमारे लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। यह एक महत्त्‍‌वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन है। संविधान को अपनाये जाने के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर संसद भवन में राष्ट्रपति कोविंद लोकसभा व राज्यसभा की संयुक्त बैठक में बोल रहे थे।

शुद्ध अन्त:करण के साथ कार्य करने की भावना होनी चाहिए  केंद्रीय कक्ष में आयोजित इस बैठक में उन्होंने कहा ‘भय, प्रलोभन, राग-द्वेष, पक्षपात और भेदभाव से मुक्त रहकर शुद्ध अन्त:करण के साथ कार्य करने की भावना को हमारे महान संविधान निर्माताओं ने अपने जीवन में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अपनाया था।’ हम सबको मिलकर आत्मचिंतन करने की जरूरत है।

संविधान की सफलता लोगों और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करती कोविंद ने संविधान सभा की अंतिम बैठक में डॉक्टर अंबेडकर के भाषण का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था ‘संविधान की सफलता भारत के लोगों और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करती है।’

संविधान निर्माताओं के विश्वास पर खरा उतरना होगा  संविधान निर्माताओं में यह विश्वास जरूर रहा होगा कि उनकी भावी पीढि़यां, अर्थात हम सभी देशवासी भी, उन्हीं की तरह, इन जीवन-मूल्यों को, उतनी ही सहजता और निष्ठा से अपनाएंगे। आज इस पर आत्मचिंतन की जरूरत है।

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