सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने किया शहीद द्वार का लोकार्पण
देहरादून। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गुरुवार को देहरादून के गजियावाला में अमर शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रवण कुमार की 53वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर उन्हे पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हे भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी जिला पंचायत द्वारा शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रवण कुमार की स्मृति में निर्मित शहीद द्वार का लोकार्पण भी किया। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शहीद के माता-पिता को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में कहा शहीद का सम्मान करना उसकी वीरता का व्याख्यान करना और उनकी याद को जिंदा रखना हर देश वासी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा प्रदेश की धामी सरकार सैनिकों के सम्मान और उनके कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सैनिकों की याद में देहरादून के गुनियालगांव में भव्य सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है, जिसका कार्य 50 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। उन्होंने कहा प्रदेश की धामी सरकार सैनिकों के सम्मान और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए बड़ी ईमानदारी से इस काम कर ही है। उन्होंने कहा कि सैन्यधाम को पूर्ण करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में सरकार ने सैनिकों को उनके शौर्य के लिए मिले मेडल के आधार पर राशि को बढ़ाया गया है। मंत्री ने कहा प्रदेश में शहीद द्वार ध् स्मारकों के निर्माण कार्य अब सैनिक कल्याण विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है। मंत्री जोशी ने कहा वीरता चक्र श्रृंखला से अलंकृत सैनिकों और वीर नारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान की जा रही है, जिसके लिए मंत्री जोशी ने मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया। इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर की कार्यों की भी जमकर सराहना भी की। मंत्री जोशी ने कहा राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने से लेकर शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का भी फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि आज के ही दिन फ्लाइट लेफ्टिनेट का जन्म 6 जुलाई 1970 को संगरूर में हुआ था। 26 फरवरी 2001 को देश की सीमा का मुआयना भारतीय करने निकला, एयरफोर्स का हेलीकाप्टर नोर्थ इस्ट के कालंग विलेज फॉरेस्ट के जंगल में दुर्घटना ग्रस्त हो गया था। जिसमे फ्लाइट लेफ्टिनेट श्रवण कुमार व 6 अन्य अधिकारी शहीद हो गये। फ्लाईट लैफ्टिनेट की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 6 तक केन्द्रीय विद्यालय गोहाटी में तथा कक्षा 7 से 12 तक सैनिक स्कूल ग्वालपारा तथा उच्च शिक्षा बी.टेक पांडिचेरी इंजिनियरिंग कालेज में हुई। फ्लाइट लेफ्टिनेट श्रवण कुमार 29 नवम्बर 1993 को कमीशन प्राप्त कर भारतीय वायु सेवा का अंग बने उससे भारतीय वायुसेना में शामिल होने से पूर्व उन्होंने स्टील अथोरिटी आफ इन्डिया बोकारो में सहायक अभियन्ता के रूप मे नौकरी की पर देश सेवा जज्बा उन्हे भारतीय वायुसेवा में खींच लाया और सैल की नौकरी उन्होंने छोडकर भारतीय वायुसेना को चुना। इस अवसर पर शहीद के पिता सुबेदार सुन्दर लाल, माता अनुसुइया देवी, पीबीआरओ अध्यक्ष शमशेर बिष्ट, मेजर जनरल देवेश अग्निहोत्री, डॉ अरविन्द वर्मा, मुकुल शर्मा, प्रधान विनीता शर्मा, लीला शर्मा, सुनील क्षेत्री, सोबन पुंडीर, सोहन सिंह, बीडीसी ज्योति ढकाल, किरण, माया, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल जीएस चंद आदि उपस्थित रहे।