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सेफ स्कूल्स प्रोग्राम के तहत सीड्स ने जीपीएस आराघर स्कूल में पेंटिंगे कार्यक्रम का आयोजन किया

देहरादून। बच्चों के समय का बड़ा हिस्सा स्कूल में पढाई करते हुए क्लासरूम में बीतता हैं। स्कूल या क्लासरूम ही ऐसी जगह हैं जहां वे अपने कौशल के विकास के साथ-साथ, अपने साथियों के साथ मिलकर जीवन मूल्यों को विकसित करतें हैं। स्कूल में ही वे अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं, जो उन्हें बाद में समाज के साथ मिलझुल कर रहने और समाज में प्रतिष्ठा पाने में मदद करता हैं। स्कूल एक बच्चे के समग्र विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, तब ये जरुरी हो जाता है की स्कूल के वातावरण को दोस्ताना बनाया जाएँ और बच्चों को मजेदार गतिविधिओं के माध्यम से जरुरी चीजें सिखाया जाएँ। स्कूल में सीखने के तरीकों को सुखद और प्रभावशाली बनाने के लिए, हनीवेल सेफ स्कूल्स प्रोग्राम के तहत सीड्स ने देहरादून के जीपीएस आराघर स्कूल में पेंटिंग के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सीड्स टीम के सदस्यों और हनीवेल इंडिया के वालंटियर्स ने पीले, हरे और नीले रंगों में स्कूल को पेंट किया। मनोवैज्ञानिको का कहना है की पीला ,हरा, और नीला रंग आंखों को भाता है और ये रंग एक खुश -नुमा माहौल बनाने में मददगार होता हैं। दिवारों को पेंट करने के कारण स्कूल को पूरी तरह से एक नया रूप मिल गया। स्कूल को रंगने में मदद करने के लिए हनीवेल इंडिया और सीड्स के 32 वालंटियर्स ने इस काम में अपना योगदान दिया।
       स्कूल की प्रिंसिपल, सुश्री लक्ष्मी ढौंडियाल, स्कूल को नया रूप देने के लिए वालंटियर्स ने जिस उत्साह  के साथ काम किया उसे देखकर रोमांचित हो गईं और उन्होंने आगे आकर स्कूल के लिए कार्य करने के लिए की सराहना की। उन्हें इस बात की खुशी थी की अब बच्चों के पास पढ़ने के लिए एक खुशनुमा और नया माहौल होगा। वालंटियर्स ने मौसम की परवाह नहीं करते हुए बड़ी संख्या में भाग लेकर स्कूल को एक नया रूप दिया। ज्यादातर वालंटियर्स ने ये महसूस किया की ये नया कलर-फुल वातावरण युवा बच्चों को अपनी रचनात्मकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। स्कूल को कलर करते वक्त वोलन्टीयर्स के बीच उत्सव जैसा माहौल था। अपने लिए आंवटित कार्य को करते हुए वे बहुत खुश थे। कार्यक्रम के अंत में स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर्स ने स्कूल को नया कलर-फूल रूप देने के लिए वालंटियर्स के प्रयासों की सराहना की।

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