सदन में बहुमत सिद्ध करने की जिम्मेदारी भाजपा की है लेकिन चिंतित कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना दिखाई दे रही
मुंबई । सदन में बहुमत सिद्ध करने की जिम्मेदारी भाजपा की है, लेकिन चिंतित कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना दिखाई दे रही हैं। मराठा छत्रप शरद पवार के कुनबे में एक बड़ी सेंध लगने के बाद सभी को अपने राजनीतिक कुनबे असुरक्षित दिखाई देने लगे हैं। घटनाक्रम पर नजर दौड़ाएं तो मुंबई के पांचसितारा होटल भी अब इन्हें सुरक्षित नहीं लग रहे हैं।
शनिवार रात एयरपोर्ट के पास स्थित एक होटल में चलनेवाली शिवसेना की यूनियन के एक सदस्य ने फोन करके शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं को बताया कि भाजपा के एक विधायक प्रसाद लाड के साथ कुछ राकांपा के कुछ विधायक रुके हुए हैं। शिवसेना ने यह खबर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को दी। पवार ने तुरंत अपने तीन सिपहसालार भेज वहां कमरे खुलवाकर अपने दोनों विधायकों को अपने पास बुला लिया। कल रात से ही राकांपा के सारे विधायकों को पवई स्थित होटल रेनेसां में रखा गया है। शिवसेना के सारे विधायक होतल ललित में हैं, तो कांग्रेस के जुहू स्थित जे.डब्ल्यू.मैरियट में। होटल रेनेसां रविवार शाम तब हंगामा हो गया, जब विधायकों के रुकने की जगह के आसपास टहलते एक सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारी पाए गए। इस बात को लेकर शरद पवार के भरोसेमंद राकांपा विधायक जीतेंद्र आह्वाड ने खूब हंगामा किया।
कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की चिंता बढ़ी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने आरोप लगाया है कि मुंबई के सभी होटलों में भाजपा ने पहले से कमरे बुक कर रखे हैं। जहां-जहां कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना विधायकों को रखा जा रहा है, वहां-वहां विधायकों से इंटरकॉम के जरिए संपर्क की कोशिश हो रही है। चह्वाण और राकांपा दोनों का मानना है कि भाजपा अपने लिए आवश्यक विधायकों की संख्या पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। भाजपा पर महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस शुरू करने का आरोप भी लगाया जा रहा है। कुछ दिनों पहले भाजपा नेता नारायण राणे ने सरकार बनाने का प्रयास शुरू करने की बात कही थी, तो उसे गंभीरता से नहीं लिया गया था। लेकिन अब भाजपा ने अधीकृत तौर पर नारायण राणे, राधाकृष्ण विखे पाटिल, गणेश नाईक और बबनराव पाचपुते को अन्य दलों के विधायकों से संपर्क की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की चिंता और बढ़ गई है।
अपने किसी सदस्य पर भरोसा नहीं अजीत पवार जैसे मजबूत सूबेदार के ही फूट कर भाजपा में मिल जाने के बाद कोई दल अपने किसी सदस्य पर भरोसा नहीं कर पा रहा है। पांच साल कांग्रेस में नेता विरोधीदल की जिम्मेदारी निभानेवाले राधाकृष्ण विखे पाटिल अपने पुत्र के सुरक्षित भविष्य के लिए ऐन लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदल कर भाजपा में आ गए थे। विधायकों को केंद्र एवं राज्य में स्थिर सरकार के साथ रहने में ही भलाई और सुरक्षा का अहसास होता है। उन्हें पता है कि स्थिर सरकार किसी बड़े दल के साथ बननेवाली सरकार में ही आ सकती है, न कि खिचड़ी सरकार में। जल्दी होनेवाला चुनाव हर विधायक को डरा रहा है। कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना नेताओं को नहीं पता कि आज पांच सितारा होटलों में उनके साथ रह रहे विधायक सदन में किसके साथ जाएंगे ?