रांची की लॉ छात्रा दुष्कर्म कांड में अदालत ने दोषियों को जिंदगीभर जेल में रहने की दी सजा
रांची। रांची की निर्भया नाम से चर्चित लॉ छात्रा दुष्कर्म कांड में अदालत ने दोषियों को जिंदगीभर जेल में रहने की सजा दी है। सामूहिक दुष्कर्म के इस मामले में सभी 11 दोषियों को सोमवार को सजा सुनाते हुए न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने इस सामूहिक दुष्कर्म कांड को जघन्य अपराध माना है। दोषियों को आजीवन कारावास के साथ ही अदालत ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा दी है। सोमवार को सुनवाई के क्रम में कोर्ट में झारखंड पुलिस के डीजीपी केएन चौबे भी मौजूद रहे। दोषियों की पेशी बिरसा मुंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई। अदालत ने इस मामले में स्पीडी ट्रायल के दम पर महज 90 दिनों के रिकॉर्ड टाइम में दोषियों को सजा सुनाते हुए पीड़िता को इंसाफ दिया। इस दौरान सिविल कोर्ट परिसर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। यहां फैसले को लेकर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई।
रांची की निर्भया को मिला इंसाफ, इन 11 दोषियों को मिली सजा रांची व्यवहार न्यायालय के प्रधान न्याययुक्त नवनीत कुमार की कोर्ट ने सभी 11 अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 376 d, 366, 323, 120 b और 411 के तहत दोषी करार देने के बाद आजीवन कारावस की सजा सुनाई है। अदालत ने लाॅ छात्रा सामूहिक दुष्कर्म कांड को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा है। जिन दोषियों को सजा सुनाई गई उनमें कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, बसंत कश्यप, रवि उरांव, रोहित उरांव, सुनील मुंडा और ऋषि उरांव शामिल हैं। ये सभी फिलहाल बिरसा मुंडा जेल रांची में बंद हैं
अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में रांची की अदालत ने सजा का एलान कर दिया है। कांके दुष्कर्म मामले में अदालत ने सभी 11 दोषियों को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि घटना जघन्य अपराध है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के क्रम में न्याययुक्त नवनीत कुमार की अदालत में कठोरतम फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने इस बहुचर्चित वीभत्स मामले में 11 अभियुक्तों को दोषी ठहराया है। आज इन सभी को कोर्ट ने ताउम्र जेल में रहने की कड़ी सजा सुनाई है। इस मामले में 12वां आरोपी नाबालिग है, जिस पर जुवेनाइल कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में 11 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2 मार्च को सजा का एलान करने की तारीख मुकर्रर की थी। सोमवार को सजा का एलान किए जाने के दौरान सभी अभियुक्त बिरसा मुंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश किए गए थे।
कांके सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों पर आया फैसला, ताउम्र जेल में रहेंगे कांके के संग्रामपुर में लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में फैसला आ गया है। सोमवार को सजा सुनाते हुए न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने 12 में से 11 अभियुक्तों को सामूहिक दुष्कर्म, मारपीट, चोरी सहित विभिन्न धाराओं में दोषी करार दिया। सभी दोषियों को ताउम्र जेल में रहने की सजा दी गई है। वहीं, एक को नाबालिग घोषित किया गया है। नाबालिग का मामला किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा है।सभी 11 अभियुक्त होटवार जेल में बंद हैं। सजा सुनाए जाने के दौरान इन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से 21 गवाह पेश किये गये थे। बताते चलें कि बीते 26 नवंबर 2019 को कांके के संग्रामपुर में लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। दूसरे दिन छात्रा की शिकायत पर कांके थाना में 12 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर 29 फरवरी को जेल भेज दिया था। इस मामले में पीडि़ता के साथ अमानवीयता की हदें पार करते हुए तीन-चार अभियुक्तों ने एक नहीं दो-दो बार दुष्कर्म किया, जबकि 12 दरिंदे करीब दो घंटे तक उसे जानवरों की तरह नोचते-खसोटते रहे। अब छात्रा को दुष्कर्मियों की सजा का एलान होने के बाद न्याय मिलेगा। रांची पुलिस ने इस केस में स्पीडी ट्रायल कराते हुए महज 90 दिनों में छात्रा को इंसाफ दिलाने की कोशिश की है।
सौ दिनों के अंदर पीड़िता को मिलेगा न्याय हाई कोर्ट के निर्देश पर केस की डे-टू-डे सुनवाई हुई। 24 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी गई। यही नहीं हाई कोर्ट खुद मामले की मॉनिटरिंग कर रहा था। इसी का परिणाम है कि महज 92 दिन में पीड़िता को न्याय मिलेगा।
ये हैं आरोपित कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, बसंत कच्छप, रवि उरांव, रोहित उरांव, सुनील मुंडा, ऋषि उरांव एवं एक नाबालिग।
रिनपास में होगी शारीरिक व मानसिक जांच नाबालिग घटना को अंजाम देने में सक्षम है या नहीं, इसकी जांच होगी। किशोर न्याय बोर्ड की अनुशंसा पर रिनपास में नाबालिग के मानसिक व शारीरिक क्षमता की जांच की जाएगी। जांच में अगर नाबालिग घटना को अंजाम देने में सक्षम पाया जाता है तो इस स्थिति में उसे वयस्कों की तरह ट्रायल फेस करना पड़ेगा।
अदालत की टिप्पणी, सोच-समझ कर घटना को दिया अंजाम आरोपितों को दोषी ठहराते हुए अदालत ने टिप्पणी की थी कि घटना को सोच-समझ कर षड्यंत्र पूर्वक अंजाम दिया गया था। इसलिए किसी को भी माफ नहीं किया जा सकता है।