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राजधानी देहरादून में अवैध खनन कारोबार से सरकार को लगाई जा रही करोड़ों की चपत

देहरादून। शहर में दिये तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। देहरादून में रेत-बजरी और रोड़ी की दुकानें बिना लाइसेंस और बिना अनुमति के ही चल रही हैं। देहरादून के बाहरी इलाकों में कुछ गिने-चुने लोगों ने ही बिल्डिंग मटिरियल सप्लाई के लिए खनन विभाग से अनुमति ली है। बाकी सब अवैध चल रहे हैं। यह खुलासा किया है आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने। एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि आरटीआई से जानकारी मिली है कि देहरादून शहर में बिल्डिंग मटिरियल का कारोबार अवैध ढंग से चल रहा है और इससे सरकार को राजस्व का भारी घाटा हो रहा है।

आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने जिला खनन अधिकारी से देहरादून में 12 इलाकों में चल रही बिल्डिंग मटिरियल सप्लायर की जानकारी मांगी। जिला खनन कार्यालय से चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि देहरादून शहर में चल रही अधिकांश दुकानों के पास कोई अनुमति पत्र नहीं है। इसके बावजूद वह बिल्डिंग मटिरियल स्टोर कर रख रहे हैं। शिमला बाईपास के कुछ सप्लायर ने अनुमति ली है लेकिन यहां भी अधिकतर सप्लायर बिना अनुमति के ही अवैध ढंग से कारोबार कर रहे हैं। जिला खनन अधिकारी ने अवैध भंडारण को लेकर जिलाधिकारी से कुछ कारोबारियों के बारे में शिकायत की लेकिन बताया जाता है कि अब तक एक भी अवैध कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।

एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार उप खनिज नियमावली के तहत उपखनिजों का भंडारण धार्मिक स्थल, अस्पताल और शैक्षणिक स्थल से 300 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। यह मानक पर्वतीय क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों के लिए कुछ अलग हैं। इसके बावजूद शहर में कई जगहों पर नियमों को ताक पर रख कर उपखनिज का भंडारण किया जा रहा है। एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक उपखनिज का भंडारण के लिए जिला खनिज अधिकारी से अनुमति जरूरी है। यह अनुमति भी निश्चित अवधि के लिए दी जाती है। लेकिन देहरादून में मानकों का खुला उल्लंघन हो रहा है। उनके मुताबिक इससे राजस्व की भी चोरी हो रही है। इस कारण सरकार को करोड़ों की चपत लग रही है। उन्होंने खनन विभाग और जिलाधिकारी से अपील की है कि अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई की जाए ताकि कर जीएसटी और कर चोरी को रोका जा सके।

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