Uttarakhand

राजभवन में महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण विषय पर आयोजित कार्यशाला का राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया

देहरादून। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को राजभवन में महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण विषय पर आयोजित कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्य की विभिन्न  आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस  पी.सी.एस, सचिवालय सेवा, पुलिस एवं अन्य राज्य सेवा की महिला अधिकारी उपस्थित थीं। महिला अधिकारियों ने राज्यपाल श्रीमती मौर्य के समक्ष कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण के बारे में अपने विचार बड़ी बेबाकी से रखे। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उच्च पदों पर आसीन सफल महिलाएं  समाज की अन्य महिलाओं के लिए रोल माॅडल हैं तथा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनके सशक्तीकरण में अपना योगदान दे रही हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये। महिला व बाल विकास की सभी योजनाओं की जानकारी दूरस्थ क्षेत्रों में भी प्रत्येक महिला को होनी चाहिये। शिक्षण संस्थानों में बच्चियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये ताकि उनकी पढ़ाई को हतोत्साहित न किया जा सके।
स्कूलों में भी महिला सुरक्षा व अधिकारों से सम्बन्धित कार्यशालाओं का आयोजन किया जाय। महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण से सम्बन्धित जागरूकता शिविरों को आयोजन सभी जगह किया जाय। कन्या भू्रण हत्या को समाप्त करने हेतु जन अभियान चलाया जाय। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि अधिकारियों को निरन्तर समीक्षा करनी चाहिये कि महिला कल्याण की योजनाएं धरातल पर क्रियान्वित हो रही है या नही। सशक्त महिलाओं को अन्य महिलाओं की सहायता के लिये आगे आना चाहिये। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य में महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा रही है। महिलाओं के प्रति समाज के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव के लिये सभी को मिलजुल कर कार्य करना होगा। सचिव राज्यपाल रमेश कुमार सुधांशु ने कहा कि विश्वभर में जिन देशों में महिलाएं सशक्त है वह देश विकसित देशों की श्रेणाी में आते हैं। महिला सशक्तिकरण हेतु सभी को कार्य करना होगा। राज्यपाल श्रीमती मौर्य द्वारा महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण की कार्यशाला आयोजित करवाना संवेदनशील व प्रासंगिक पहल है। डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति महिलाओं हेतु देशभर में बेहतर स्थिति में है। उत्तराखण्ड में महिलाओं से सम्बन्धित अपराध 0.05 प्रतिशत है। महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों के निस्तारण में उत्तराखण्ड का स्थान देशभर में सातवाँ है। देशभर में महिला उत्पीड़न के मामलों में उत्तराखण्ड का स्थान 21वां है। पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या राज्य में 5 प्रतिशत से लगभग 11 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। यह उत्तर भारतीय राज्यों में सर्वाधिक है। प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला ने कहा कि वन विभाग में भी महिलाओं की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। महिलाओं सभी पदों पर अच्छा कार्य कर रही है। विधि सलाहकार राज्यपाल कहकशाँ खान ने सुझाव दिया की पुलिस विभाग द्वारा महिला यौन अपराधों के सम्बन्ध में डेडिकेटेड आॅन लाइन एफआईआर की व्यवस्था की जाय।
निदेशक महिला व बाल विकास विभाग झरना कमठान ने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न महिला कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। उद्योग विभाग से पल्लवी गुप्ता ने जानकारी दी कि राज्य में महिला उद्यमियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के समक्ष अपने विचार रखते हुये शिक्षिका श्रीमती प्रेमलता बौड़ाई ने कहा कि विद्यालय के खुलने के समय तथा बन्द होते समय विद्यालयों के पास बालिकाओं की सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल तैनात किये जाने चाहिये। इससे असामाजिक तत्वों से छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक नर्स ने सुझाव दिया कि अस्पतालों में भी 24 घण्टें महिला सुरक्षा कर्मी तैनात की जाय। बाल विकास परियोजना अधिकारी चकराता सुश्री फुलारा ने सुझाव दिया कि सड़कों में लाइटिंग की समुचित व्यवस्था की जाय ताकि रात्रि में महिला सम्बन्धित अपराधों पर अंकुश लग सके।

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