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राहुल ने फिर दिया विवादित बयानए, आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी

नई दिल्ली। लंदन में इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रैटिजिक स्टडीज (IISS) के एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मिस्र के इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से कर एक बार फिर विवादों मेें आ गए हैं। शुक्रवार को जर्मनी से ब्रिटेन पहुंचे राहुल ने कहा, ‘भारत का आरएसएस संगठन देश की तासीर बदलने की कोशिश कर रहा है। इस संगठन की विचारधारा अरब जगत के मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी है। इसके पीछे उनका विचार यह है कि एक ही विचारधारा सभी संस्थानों में रहनी चाहिए। यह ऐसा विचार हो जो दूसरे सभी विचारों को खत्म कर दे।’ राहुल ने आगे कहा कि, ‘भारत में इस संगठन (आरएसएस) के अलावा ऐसा और कोई संगठन नहीं है जो संस्थानों पर कब्जा जमाना चाहता हो। इस पार्टी के अलावा कांग्रेस, सपा, बसपा, द्रमुक सत्ता चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में आए वो कभी संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करती।’

कई देशों में बैन है मुस्लिम ब्रदरहुड  आपको बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड अरब का इस्लामिक संगठन है यह 90 साल पुराना है और इसका उद्देश्य अन्य देशों में भी इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना और इस्लामिक कानून शरिया लागू करना है। इस संगठन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगता रहा है। आतंक, हिंसा और कट्टरवाद फैलाना इस संगठन का मुख्य काम है जिसके चलते इस संगठन को रूस, सीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन तथा मिस्र में आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है। साल 2012 में मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाने के पीछे भी इसी संगठन (मुस्लिम ब्रदरहुड) का ही हाथ माना जाता है।

पीएम मोदी पर राहुल ने बोला हमला  लंदन में इसी कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला भी बोला है, यहां पर राहुल ने पीएम मोदी को डोकलाम विवाद पर घेरने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि, ‘डोकलाम में अभी भी चीनी सैनिक मौजूद हैं। पीएम मोदी ने डोकलाम को एक इवेंट की तरह से देखा है। अगर प्रक्रियाओं पर ठीक से नजर रखी जाती तो डोकलाम विवाद टाला जा सकता था।’

अगर सत्ता में होते तो इससे बेहतर तरीके से डोकलाम विवाद हल करते: राहुल  यहां पर राहुल गांधी ने इस बात का भी दावा किया कि अगर वो सत्ता में होते तो इससे बेहतर तरीके से डोकलाम विवाद से निपटते, उनकी इस टिप्पणी को राजनीतिक हमले के तौर पर भी देखा जा रहा है। जर्मनी में अपने विवादित बयान के कारण भाजपा के निशाने पर आए राहुल गांधी ने इस बयान के बाद भाजपा को एक और मौका दे दिया है। जिसका प्रमुख कारण ये है कि डोकलाम में भारत की कूटनीतिक जीत को भी राहुल ने लंदन में इसे भारत सरकार की कमजोरी बता दिया है, साथ ही वो ये दावा भी कर रहे हैं कि डोकलाम में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं। राहुल अपने इस बयान से सरकार के उस दावे को झुठला रहे हैं जिसमें सरकार ने डोकलाम से चीनी सैनिकों को हटाने का दावा किया था।

राहुल को नहीं याद चीन को लेकर यूपीए की विफलताएं   राहुल के इस बयान के बाद जानकारों का मानना है कि अगर वो (राहुल गांधी) भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में यूपीए की विफलताओं के बारे में जानकारी रखते तो शायद ऐसा बयान कभी नहीं देते। आपको बता दें कि यूपीए जब सत्ता में थी तब चीन के साथ डेमचोक विवाद हुआ था जिसमें चीनी सेना भारतीय सीमा के अंदर आ गई थी, और तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार कई दिनों तक इससे निपटने में नाकामयाब रही। इसके अलावा पाकिस्तान से सटी भारतीय सीमा पर भी यूपीए सरकार की असफलताओं की लंबी लिस्ट मौजूद है।

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