Uttarakhandजन संवाद

पूनावाला का देश छोड़कर जाना किसी बड़े षडयंत्र की ओर ईशारा करता है

कई दिनों से पूनावाला पर चर्चा और समाचार देखते हुए अचानक गांव की बात याद आ गयी। पति या बच्चे की तबियत जरा सी बिगड़ी नही की जेठानी दौरानी की मुसीबत आ जाती है। झट से एलान हो जाता है कि इनमें से ही किसी ने मेरे परिवार पर कुछ जादूटोना कराया है और फिर शुरू हो जाता है झाडफुस और टोटकों का इलाज। देश की पार्टियों में जो चल रहा है उसमें भी ऐसा ही नजर आता है और समस्या पीछे छूट जा रही है। दुश्मन हमारे नेताओं को उलझाना अच्छी तरह जानता है इसलिये जीते हुए देश को हार जाने की चाल चल दी है। इतनी सी बात कोई समझने को तैयार नही की देश का कौन बड़ा नेता या मुख्य मंत्री ऐसे सज्जन को धमकी देगा जो उसके और देश के नागरिकों को संजीवनी दे रहा हो और आगे भी उसका सहारा हो। हां दबाव की बात किसी हद तक सही हो सकती है परंतु किसी निजी लाभ के लिए नही। यह स्वाभाविक रूप से समझा जा सकता है। लेकिन ऐसी धमकी कि व्यक्ति देश छोड़कर अचानक सुरक्षित स्थान पर जाकर सुर बदलने लगे तो धमकी को साधारण रूप से नही लिया जा सकता। और ऐसा भी नही है कि पूनावाला की यह बात पूरी तरह झूट हो चूंकि केंद्र सरकार ने y सुरक्षा आखिर पूनावाला की मांग या   सूचना के आधार पर ही दी होगी। अब सवाल यह है कि कहीं यह किसी का नाटक या षड्यंत्र तो नही। इसके भी दो पहलू हो सकते है। पहला यह कि पूनावाला स्थिति का फायदा उठाने के लिए देश से विश्वास घात जैसी हरकत पर उतर आये हो और देश के बाहर सुरक्षित होकर नाटक कर रहे हों।एक पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक की तरह लालच में बिककर। दूसरा पहलू इससे भी ज्यादा गौर करने लायक है कि कही पूनावाला किसी बाह्य अथवा अंदरूनी षड्यंत्र का शिकार होकर कठपुतली तो नही बन रहे क्योंकि जो भी वैक्सीन वो बना रहे थे उसका अग्रिम भुगतान उंन्हे मिल रहा था। इसलिये देश के किसी नेता से ऐसी धमकी या खतरा तो बिल्कुल भी सत्य से परे है जो पूनावाला को देश से बाहर भागने पर मजबूर कर दे। दूसरी बात ऐसा सफल आदमी जिसे देश के अंदर अत्यधिक सम्मान औऱ कृतज्ञता की दृष्टि से देखा जा रहा हो, देश के साथ धोखा करेगा, ऐसा भी विश्वशनीय नही लगता। इसलिये देश के नेता ये गांव की बहुओं वाला  और हमारी तथाकथित सवाल पूछने और सत्य की खोजी मीडिया पड़ोसन का खेल बंद करे और एक साथ मिलकर टोटके और झाड़फूंक नही बल्कि बीमारी का सही इलाज ढूंढे। मुझे जो लगता है कि ड्रामा जो देश मे चल रहा है उसका लेखक और निर्देशक देश अथवा देश के बाहर छिपा बैठा है। कही इसके भी तार किसान आंदोलन की विफलता से तो नही जुड़े? कौन हो सकता है जो इस देश को अचानक मौत के ढेर में बदल देना चाहता है? आप भले ही विचारधारा के अंतर्गत अथवा अंधभक्ति में कुछ भी कह दे लेकिन दिल नही मानता कि मेरे भारत देश का कोई नेता या नागरिक ऐसा सोच भी सकता है। लोग समाचार सुनकर टी वी देखकर रो रहे हैं। मौत का मंजर रातों की नींद उड़ाए हुए है। ऐसे में यदि कोई बुरा सोच सकता है वह महाराक्षस ही हो सकता है।
 लेखकः-ललित मोहन शर्मा

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