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कट्टरपंथियों को पीएम का संदेश, आतंक के खिलाफ लड़ाई किसी पंथ के खिलाफ नहीं

दुनिया के ज्यादातर मुल्कों में अब ये आम सहमति बन चुकी है कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता है। आतंकी सिर्फ और सिर्फ मानवता के दुश्मन हैं। आतंकी संगठनों के खिलाफ बिना किसी पूर्वाग्रह के उन देशों को भी आगे आना चाहिए जो परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से उन संगठनों या शख्सों का समर्थन कर रहे हैं जिनकी बुनियादी सोच में भटकाव है। दिल्ली में विज्ञान भवन में इस्लामिक हेरीटेज को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा वसुधैव ही भारत का दर्शन है, उनकी सरकार शुरू से ही इस बात पर बल देती रही है कि भारतीय समाज का हर तबका एक साथ मिलकर आगे बढ़े। वो चाहते हैं कि अल्पसंख्य समाज के युवाओं के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे हाथ में कंप्यूटर में हो।
इस मौके पर उन्होंने जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II बिन अल हुसैन से आग्रह किया कि वो इस्लामिक विचारधारा के वाहक है और भारत ये चाहता है कि वो अपनी तर्कशक्ति और मेधा से एक ऐसे माहौल का निर्माण करें जिससे संप्रदायों और पंथों के बीच कटुता में कमी आ सके। पीएम के इस बयान का मतलब क्या है क्या वो अपने संबोधन के जरिए देश के अंदर और बाहर उन लोगों पर निशाना साध रहे जो उनकी नीतियों को संकीर्ण नजरिये से देखते हैं। इसे समझने से पहले जॉर्डन के किंग और पीएम के भाषण को अंश को जानना जरूरी है।
विज्ञान भवन में पीएम का भाषण
-दुनिया का कोई मजहब अमानवीय नहीं हो सकता।
-दुनिया के सभी धर्म भारत के पालने में पढ़े और बढ़े
-भारत ने दुनिया को अमन की राह दिखाई।
-दिल्ली सूफियाना कलामों की सरजमीं है।
-भारत, दुनिया को एक परिवार मानकर आगे बढ़ने में विश्वास रखता है।
-वसुधैव का दर्शन पूरी दुनिया को भारत ने दिया।
-विरासत की विविधता या विविधता की विरासत भारत की पहचान है।
-मंदिर में दीप और मस्जिद में सजदा में समानता है। अपनी विरासत पर हमें गर्व है।
-अभी होली का रंग है जबकि इसके ठीक बाद रमजान आता है, होली जहां घृणा को बाहर करने का त्योहार है वहीं रमजान आत्मशुद्धि पर बल देता है।
-आतंकवाद से नुकसान उस मजहब का होता है जिसके लिए वो खड़े होने का दावा करता है।
-आतंकवाद पर काबू पाने के लिए भारत सक्षम है।
-दहशतगर्दो के खिलाफ लड़ना किसी के खिलाफ नहीं है।
-भारतीय लोकतंत्र सिर्फ राजनीति नहीं है, बल्कि सामान्य मानवीय का चतुर्दिक विकास है।
-सबकी तरक्की के लिए सबको साथ लेकर चलना ही हमारी नीति और आदर्श है।
-हमारी सरकार चाहती है एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरान हो।

जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II बिन अल हुसैन का भारत दौरा
-विदेश मंत्रालय के मुताबिक किंग अब्दुल्ला 2006 में भारत का दौरा कर चुके हैं।

-किंग अब्दुल्ला द्वितीय पैगंबर मोहम्मद की 41वीं पीढ़ी से हैं और येरुशलम में स्थित इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद के संरक्षक हैं। उन्होंने इस्लाम के नाम पर चल रहे कट्टरपंथ को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए हैं।
-जॉर्डन ने इस पर अध्ययन किया है कि आईएसआईएस और अन्य संगठनों के असर को कम करने में भारत कितना सक्षम रहा है। किंग अब्दुल्ला की भारत यात्रा के दौरान इस्लाम पर एक किताब का लोकार्पण भी किया जाएगा जो उनके चचेरे भाई प्रिंस गाजी बिन मोहम्मद ने लिखी है।
-जॉर्डन शांतिपूर्ण और उदार इस्लाम की वकालत करता है और आतंकवाद तथा हिंसाग्रस्त देशों के बीच उसे ‘स्थितरता का नखलिस्तान’ भी कहा जाता है।
-पीएम मोदी की जॉर्डन के किंग के साथ साल 2016 में यूएनजीए सम्मेलन में और दूसरी बार इसी महीने पीएम मोदी के फिलीस्तीन जाते समय अम्मान में मुलाकात हुई।
-अब्दुल्ला के सहयोग से भारत जॉर्डन के साथ अपने सुरक्षा रिश्ते और बेहतर कर सकता है और लेवांत इलाके में उसकी विशिष्ट सामरिक स्थिति की मदद से लाल सागर और पूर्वी भूमध्यसागर तक पहुंच को आसान कर सकता है।
-भारत और जॉर्डन के बीच 2016-17 में करीब 87 हजार 800 करोड़ का कारोबार हुआ।
पीएम के बयान पर आम लोगों की राय
विज्ञान भवन में जब पीएम ने कहा कि जो लोग मजहब बचाने के नाम पर हिंसा के रास्ते पर चल रहे हैं दरअसल वो लोग खुद अपना नुकसान कर रहे हैं। पीएम के इस बयान पर दैनिक जागरण ने अलग अलग शहरों के लोगों से उनके विचार जानने की कोशिश की। नई दिल्ली के रहने वाले महमूद ने कहा कि ये बात सच है कि पीएम जो कुछ कह रहे हैं वो सही है। लेकिन जिस तरह से गोवंश के नाम पर मुस्लिम समाज के कुछ लोगों पर हमला किया गया वो उनके आदर्श बातों की पोल खोल देती है। सरकार एक तरफ मुस्लिम समाज के युवकों को मुख्य धारा में शामिल करने की बात कह रही है। लेकिन दूसरी तरफ मदरसों का हाल बेहद खराब है। मदरसों पर एक खास विचार को थोपा जा रहा है।

लेकिन महमूद की राय से ठीक उलट गोरखपुर के रहने वाले डॉ मनऊर अली की सोच अलग है। उन्होंने कहा कि इस्लामी विचारधारा को कुछ गुमराह युवकों ने सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अगर आप आतंकी संगठनों की बात करें तो उनका मूल मकसद राजनीतिक सत्ता को हासिल करना है। अपने उस उद्देश्य को कामयाब करने के लिए वो इस्लाम के विचारों की अपने ढंग से व्याख्या करते हैं। पीएम मोदी ने जो कुछ कहा वो तार्किक और व्यवहारिक है। आज इस्लामिक स्कॉलरों को ज्यादा सोचने समझने की जरूरत है कि आखिर इस्लाम के मूल मकसद से बड़ी तादाद में मुस्लिम युवक क्यों भटक रहे हैं।
महमूद, डॉ मनऊर अली के विचारों से एकदम अलग आजमगढ़ की रहने वाली फरहाना का कहना है कि जब तक मुस्लिमों की आधी आबादी को दबाकर रखने की कोशिश होती रहेगी युवा वर्ग भटकाव पर रहेगा। मनोवैज्ञानिक तौर पर वो अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं कि मुस्लिम घरों में पैदा होने वाले बच्चे शुरू से ही देखते हैं उनके घरों में महिलाओं की भूमिका बेहद सीमित है, वो विचार प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकती है। इसका असर ये होता है कि गुमराह युवक, उन बच्चों को आसानी से निशाना बना लेते हैं।

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