पीडीपी से रिश्ता भंग होते ही भाजपा राष्ट्रवाद के मुद्दे को धार देने में जुटी
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी के साथ ही भाजपा अब राष्ट्रवाद के मुद्दे को धार देने में जुट गई है। आगामी 23 जून को श्रीनगर में इसकी झलक दिखाई देगी जिस दिन जनसंघ के शीर्ष नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया जाता है, लेकिन पिछले तीन साल से उत्साह और जोश थोड़ा कम था। इस बार खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह वहां मौजूद रहकर उत्साह का संचार करेंगे।दरअसल, कश्मीर को लेकर भाजपा की पूरी विचारधारा ही श्यामा प्रसाद के आसपास घूमती है। जम्मू-कश्मीर के लिए धारा 370 का विरोध करते हुए बिना परमिट के कश्मीर में प्रवेश किया था। मंगलवार को पीडीपी से समर्थन वापसी की घोषणा के वक्त ही भाजपा ने जिस तरह कहा था कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और वह इसकी सुरक्षा के लिए राज्यपाल शासन चाहते हैं उसके बाद ही स्पष्ट हो गया था कि पार्टी राष्ट्रवाद के एजेंडे पर उग्रता से दिखेगी। पार्टी सूत्र मानते हैं कि राज्य में शासन में रहने के कारण 23 जून को भी पार्टी वह उग्रता नहीं दिखा पाती है जो श्यामा प्रसाद से जुड़ी रही है। लेकिन इस बार जोश ज्यादा होगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने बताया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी वहां मौजूद होंगे। सरकार की ‘शहादत’ के बाद जम्मू संभाग में उत्साह से लबरेज पार्टी कैडर में नई स्फूर्ति का संचार किया जाएगा। रविंद्र रैना ने राज्य की सभी राष्ट्रवादी ताकतों को साथ आने का आह्वान किया है।ध्यान रहे कि कश्मीर ही ऐसा मुद्दा है जो देश के चारों कोनों में सुना और देखा जाता है। पिछले तीन साल में अगर कश्मीर में शाति नहीं आ सकी तो भाजपा यह स्पष्ट करने से नहीं चूकेगी कि वह पीडीपी और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की विफलता थी। अब केंद्र सरकार आतंकियों को घुटने पर लाकर रहेगा।