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पटना से फिर गायब हो गये हैं लालू के लाल तेजप्रताप यादव

पटना। पत्नी एेश्वर्या राय से तलाक के मामले को लेकर नाराज चल रहे राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव एक बार फिर पटना छोड़कर गायब हो गए हैं। एक चैनल के मुताबिक तेजप्रताप यादव फिलहाल कहां गए हैं, इसकी सूचना अभी किसी को नहीं है। हालांकि, बताया  जा रहा है कि धार्मिक स्थलों पर भ्रमण करने के शौकीन तेजप्रताप यादव फिर से  उत्तर प्रदेश के किसी धार्मिक शहर चले गए हैं। ये भी बताया जा रहा है कि घर से दूर रह रहे तेजप्रताप अब पटना तभी वापस लौटेंगे जब उन्हें नया बंगला एलॉट किया जाएगा। बता दें कि दो नवंबर को तेजप्रताप ने अपनी शादी के पांच महीने बाद ही पत्नी एश्वर्या को तलाक देने की अर्जी कोर्ट में दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई 21 नवंबर को हुई है। तेजप्रताप तलाक की अर्जी देने के बाद से ही घर से दूर रहे हैं। नवंबर के आखिरी हफ्ते में तेजप्रताप यादव पटना पहुंचे थे और उन्होंने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी अपनी हाजिरी लगाई थी। हालांकि वे इस दौरान भी अपने घर नहीं गए थे। उनके करीबियों की मानें तो तेजप्रताप यादव ने तलाक देने की जिद ठान रखी है और जानकारी के मुताबिक उनकी पत्नी ससुराल में राबड़ी के पास उनके आवास में रह रही हैं।  कहा जा रहा है कि तेजप्रताप इसी वजह से घर नहीं जा रहे हैं। वो अब राबड़ी आवास नहीं जाना चाहते हैं और उन्होंने सरकार से एक अलग बंगले की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राज्य के भवन मिर्माण मंत्री को पत्र भी लिखा है और आवास की मांग की है। तेजप्रताप के करीबियों का कहना है कि उन्हें नए बंगले के आवंटन का इंतजार है और वो तभी लौटेंगे जब उन्हें नया बंगला मिल जाएगा। गौरतलब है कि उन्होंने भवन निर्माण मंत्री को पत्र लिखकर पटना के टेलर रोड स्थित दो नंबर बंगले की मांग की है। बता दें कि तेजप्रताप को पहले देश रत्न मार्ग का तीन नम्बर बंगला आवंटित था। लेकिन, मंत्री पद जाने के बाद दारोगा राय पथ में दो फ्लैट उनके नाम से आवंटित किया गया है। बताया जा रहा है कि ये घर उन्हें पसंद नहीं है।इसी कारण उन्होंने प्रदेश के भवन निर्माण मंत्री को नए बंगले के लिए पत्र भी लिखा है। हालांकि उन्हें ये बंगला मिलेगा या नहीं इसपर अभी संशय बरकरार है। मंत्री का कहना है कि उनका विभाग केवल सेंट्रल पूल के बंगले को ही आवंटित करता है। विधायकों या विधान पार्षदों को विधानसभा या विधान परिषद सचिवालय के माध्यम से ही बंगले मिलते हैं।

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