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प्रदूषण के दुष्प्रभाव से खिलाड़ी व दर्शक बीमार हो सकते हैंः- डॉ. केके अग्रवाल

नई दिल्ली । हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआइ) और कंफेडरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन ऑफ एशियन एंड ओशिनिया (सीएमएएओ) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बीसीसीआइ के अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से खिलाड़ी व दर्शक बीमार हो सकते हैं, इसलिए मैच के लिए मौसम के पूर्वानुमान की तरह प्रदूषण का भी ख्याल रखा जाए और जिस तरह बारिश होने व स्टेडियम में लाइट कम होने पर मैच रद कर दिया जाता है, ठीक वैसी ही व्यवस्था प्रदूषण की स्थिति में होनी चाहिए। डॉ. अग्रवाल ने गांगुली से अपील की है कि दिल्ली के खतरनाक वायु प्रदूषण पर गंभीरता से विचार करें, ताकि कोई खिलाड़ी या दर्शक प्रदूषण के चपेट में न आए। दिवाली के बाद से वातावरण में स्मॉग की एक मोटी परत बन जाने से हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है और एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़े को पार कर गया है। साथ ही दृश्यता भी कम हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पीएम (पार्टिकुलेट मैटर)-2.5 का सामान्य स्तर 20 व पीएम-10 का सामान्य स्तर 25 निर्धारित किया है। हालांकि, भारत में पीएम-2.5 का सामान्य स्तर 60 और पीएम-10 का 100 निर्धारित है। यदि एक्यूआइ 300 से अधिक हो तो आउटडोर खेल व व्यायाम से बचा जाना चाहिए। एक्यूआइ 400 के पार हो तो इनडोर खेल व व्यायाम भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

खिलाडि़यों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि कई शोधों में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि प्रदूषण से फेफड़े व हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), ब्लड प्रेशर सहित कई बीमारियां हो सकती है। दिल के पुराने मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। खिलाडि़यों पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव की आशंका अधिक होती है क्योंकि खेल के दौरान दौड़ने के कारण सांस की गति तेज हो जाती है। इस वजह से प्रदूषक तत्व सांस के जरिये अधिक मात्रा में शरीर में प्रवेश करते हैं।

खेल मंत्रालय से स्थायी नीति बनाने की मांग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने वर्ष 2017 में भारत व श्रीलंका के बीच खेले गए टेस्ट मैच के दौरान बीसीसीआइ को पत्र लिखा था। तब डॉ. केके अग्रवाल आइएमए के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि बीसीसीआइ व खेल मंत्रालय ने प्रदूषण को लेकर अब तक कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई। यही वजह है कि दो साल बाद एक बार फिर प्रदूषण के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला जाएगा। इसलिए एक नीति तैयार होनी चाहिए, जिसमें खेल के दौरान मौसम के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने इस मामले में खेल मंत्रालय से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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