प्रदेशभर के मैक्सी-कैब संचालक गए हड़ताल पर
देहरादून : राज्य में पुराने व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर की बाध्यता खत्म करने की मांग पर गुरूवार से प्रदेशभर के मैक्सी-कैब संचालक हड़ताल पर चले गए। वाहनों का संचालन ठप होने से पहाड़ की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठप पड़ गई। देहरादून से पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली करीब 1500 टैक्सी, मैक्सी, ट्रेकर व जीप के पहिए थमे रहे। इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से पूरे राज्य में पहाड़ की लाइफ-लाइन थमी हुई है। शासन ने मामले का हल निकालने की कोशिश भी की लेकिन फिलहाल कोई भी सकारात्मक हल नहीं निकल सका। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल जारी रखने की बात कही है। पुराने वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के विरुद्ध प्रदेशभर के मैक्सी कैब संचालकों ने पूर्व में दी चेतावनी के तहत गुरूवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। इससे पूरे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के पहाड़ी मार्गों की ‘लाइफ-लाइन’ थम गई। दरअसल, मुंबई में लोकल टे्रनों की तर्ज पर प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर जीप-ट्रेकर को सार्वजनिक परिवहन की लाइफ-लाइन माना जाता है। पर्वतीय मार्गों पर निजी और रोडवेज बसें भी चलती हैं लेकिन एक तो इनकी संख्या बेहद कम है और दूसरा छोटे व संकरे मार्गों पर बसें नहीं जा पातीं। ऐसे में दैनिक सफर के लिए आमजन जीप और ट्रेकर का ही इस्तेमाल करता है। बीते दिनों परिवहन मुख्यालय ने इन वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है और इसके बिना वाहनों को फिटनेस नहीं दी जा रही। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि वे स्पीड गवर्नर के विरोध में नहीं हैं, लेकिन पहाड़ में वाहन पहले ही 30-35 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं। यहां स्पीड गवर्नर की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। यही नहीं, ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जो नए वाहन आ रहे हैं, उनमें निर्माता कंपनी यह डिवाइस लगाकर दे। पुराने वाहनों में यह डिवाइस लगाना जुगाड़बाजी है, जो हादसे का कारण बन सकती है। परिवहन विभाग ने मनमानी कर नौ कंपनियों को डिवाइस लगाने का ठेका दिया हुआ है। डिवाइस दो से ढाई हजार रुपये की है लेकिन कंपनियां ट्रांसपोर्टरों से सात-आठ हजार रुपये वसूल रही हैं। इसी फैसले के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों ने पहले दो दिन प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों में धरना दिया और गुरूवार से पूरे प्रदेश में हड़ताल पर चले गए।गुरूवार सुबह ही सूबे के पहाड़ी मार्गों पर चलने वाली हजारों मैक्सी-कैब के पहिए थम गए। अकेले दून में ही करीब डेढ़ हजार टैक्सी, ट्रेकर व जीप वाहन स्टैंडों पर खड़े रहे व यात्री इधर से उधर भटकते रहे। हालत यह हो गए जिसे जो वाहन दिखा, यात्री उसमें ही सवार हो गए। पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली बसें ओवरलोड चलीं। ऋषिकेश में भी चक्काजाम होने से लोगों को कर्इ तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, संबंधित यूनियन के सदस्यों ने सड़क पर आकर मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। इन वाहनों की हड़ताल का असर गढ़वाल मंडल के मुख्य मार्गों और संपर्क मार्गों पर सीधा देखा जा रहा है। यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत नीलकंठ रूट पर भी वाहनों का संचालन पूरी तरह ठप है। पर्वतीय मार्गों पर बस सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था न होने से संपर्क मार्गों पर जीप और टैक्सी वाहन ही आवागमन का जरिया है। इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों पर इस हड़ताल का सीधा असर पड़ा है।
बस अड्डे पर मायूस खड़े रहे यात्री कोटद्वार में वाहनों गढ़वाल जीप टैक्सी समिति हड़ताल पर चली गई है। जीप-टैक्सियों की हड़ताल के कारण आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल के कारण सुबह से ही रोडवेज व जीएमओयू बस अड्डे पर यात्रियों की भीड़ लगी है। अधिक परेशानी उन क्षेत्रों में हो रही है, जहां यातायात के नाम पर मात्र जीप टैक्सी संचालित होती हैं।
स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की फजीहत वहीं हल्द्वानी में भी टैक्सी चालकों की हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है। पर्यटकों और स्थानीय यात्रियों को हड़ताल से बेहद परेशानी हो रही है। नैनीताल रोड स्थित टैक्सी स्टैंड पहुंचने पर मायूस होकर उन्हें रोडवेज और केमू की बस से सफर करना पड़ा। वहीं गुपचुप तरीके से सवारियां भरकर जाने वाली टैक्सियों को चालक समिति के सदस्यों ने रानीबाग पर रोककर सवारियां उतार ली। इस दौरान यात्रियों से उनकी नोंकझोंक भी हुई।