News UpdateUttarakhand

ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर एक गंभीर समस्याः डॉ. गौरव संजय

देहरादून। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों को कमजोर एवं खोखला बनाती है जो कि छोटी सी चोट से टूट जाती है मेरा अनुभव है कि खाँसने, छींकने और यहाँ तक कि हँसने से भी फ्रैक्चर हो जाते हैं। संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर, जाखन, राजपुर रोड देहरादून के ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय ने बताया कि हड्डी एक जीवित उत्तक है जो कि हमेशा नया बनता और बिगड़ता हैऑस्टियोपोरोसिस तब होता है जब हड्डी के बनने की तुलना में हड्डी कमजोर एवं खोखली होने लगती हैसाधारणतौर पर हड्डियों की गुणात्मक मात्रा 30 साल तक बढ़ती है और फिर 30 से 50 साल तक स्थिर। इसके बाद 50 साल से ऊपर की महिलाओं और 65 साल से ऊपर के पुरूषों में कैल्शियम की मात्रा घटने लगती है जिससे हड्डियाँ खोखली होने लगती है। उन्होंने यह भी बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस महिला एवं पुरूष दोनों को ही प्रभावित करती है लेकिन एशियन महिलाओं को ज्यादा ही, खासतौर से रजोनिवृति या माहवारी रूकने के बाद। कुछ दवाईयाँ जैसे कि स्टेरॉइड और मिर्गी की दवाइयाँ, कुछ बीमारियाँ जैसे कि मधुमेह, घंघा, असंतुलित आहार एवं गतिहीन कार्य करने वालों में ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना ज्यादा होती है। डॉ. गौरव संजय के अनुसार, ऑस्टियोपोरोसिस आज के समय में एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है जिसको कि हम ऑर्थोपीडिक सर्जन होने के नाते हर दिन देखते हैं।
पिछले हफ्ते मैंने तीन मरीजों को जो कि कमर, कूल्हे एवं कलाई के फ्रैक्चर से पीढ़ित थे और ये तीनों ही फ्रैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों में सामान्य घटनाएं हैंपिछले हफ्ते ही एक 91 साल के बूढ़े व्यक्ति को कमर के फ्रैक्चर के कारण भर्ती करना पड़ा और उनका वर्टिब्रोप्लास्टी से इलाज किया गया। दूसरी 97 साल की बूढ़ी महिला थी जो रात में सोते हुए बिस्तर से गिर गई जिससे उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई जिनका इलाज पी. एफ. एन. नेल से किया गया और तीसरी 50 साल की पोस्टमीनोपॉजल महिला आई जिन्होंने स्कूटी को खड़ा करने में कलाई का फ्रैक्चर कर लिया जिनका इलाज इलीजारॉव फिक्सेटर से किया गया। इस तरह के मरीजों का ऑर्थोपीडिक अस्पताल में आ और यह हमारे यहाँ ही नहीं यह लगभग देश के सभी अस्पतालों में हैडॉ. गौरव संजय ने बताया कि इस तरह के फ्रैक्चर अपने आप में एक समस्या हैं, इस तरह के मरीजों में बढ़ती हुई उम्र दूसरी समस्या और बढती हुई उम्र के साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थॉयरॉयड, दिल तथा सांस की बीमारियाँ होना एक आम समस्या है जिससे इनमें बेहोशी करने, ऑपरेशन करने और ऑपरेशन के बाद की समस्याओं के बहुत खतरे होते हैं। इसीलिए मरीजों और उनके रिश्तेदारों को ऑस्टियोपोरोसिस फ्रैक्चर और संबंधित बीमारियों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। यहाँ पर मैं अपने विदेशी प्रशिक्षण के अनुभव से यह बताना आवश्यक समझूगा कि विकसित देशों में ही नहीं बल्कि हमारे अपने बहुत से मरीज अच्छे ऑपरेशन के बाद दशों सालों तक जीवित रहते हैं। जैसे कि हम सब लोग जानते हैं कि बचाव इलाज से बेहतर है। इसीलिए हम सब लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि ऑस्टियोपोरोसिस से हम कैसे बच सकते हैं। हम सब लोगों को संतुलित आहार जो कि कैल्शियम, विटामिन डी से भरपूर हो, मेहनत करने वाले ज्यादा से ज्यादा कार्य और शराब और तम्बाकू जैसे पदार्थो का सेवन कम से कम या बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यदि किसी कारणवशं किसी को फ्रैक्चर हो जाता है तो हमें उसका तुरंत अच्छा इलाज कराना चाहिए और उसका फिक्सेसन बहुत अच्छा होना चाहिए जिससे वह जल्दी चलने लगे और अपने रोजमर्रे के कार्यो को जल्द से जल्द करने में सक्षम हो सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button