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भाजपा से लोगों का मोह हो रहा भंगः अविनाश मणि

देहरादून। उत्तराखण्ड युवा कांग्रेस में प्रदेश सचिव बनाये जानें पर अविनाश मणि नें उत्तराखण्ड युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष  सुमित्तर भुल्लर तथा षीर्श नेतृत्व का आभार व्यक्त कर कहा की संगठन से उनको जो जिम्मेदारी मिलि है वे उसका निश्ठा पूर्वक निर्वहन कर संगठन को गति प्रदान करनें में सहयोग करेंगे।
     अविनाश मणि ने कहा कि भाजपा से लोगों का मोह भंग हो गया है, बहुत हुई महंगाई की मार, के नारे देने वाली भाजपा ने आज पूरे देश में महंगाई और बेरोजगारी फैला रखी है। आज लोग कांग्रेस की ओर देख रहे हैं, आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की जनता भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकनें का काम करेगी।
     उन्होनें कहा कि देश व प्रदेश में महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी के कारण युवा परेशान हैं। लगातार बढ़ रही महंगाई का विरोध हो रहा है, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है।  विकास कार्य भी पूरी तरह से ठप हो गए हैं। उन्होनें कहा की युवा कांग्रेस का एक एक साथी पूरी मेहनत से 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट कर बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का काम करेगा, साथ ही भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के बारे में घर-घर जाकर जन-जन को अवगत करायेगा। उन्होंने कहा कि रसोई गैस सिलिंडर के दाम में लगातार वृद्धि होने से घरों का बजट बिगड़ गया है।
      केन्द्र की भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण पेट्रोल व रसोई गैस के दाम रोज बढ़ाकर गरीब आदमी के पेट पर लात मारने का काम हो रहा है। दाल, सब्जियों की कीमतें आम आदमी की पकड से बाहर होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर कोरोना महामारी के चलते बेरोजगार हो चुकी जनता पहले से मंहगाई की मार झेल जनता पर और मंहगाई का बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए था कि आम आदमी को बढती मंहगाई से राहत देने के लिए बिजली, पानी, हाउस टैक्स माफ किया जाना चाहिए था तथा खाद्यय वस्तुओं के दाम कम किये जाने चाहिए थे परन्तु इसके विपरीत यह देखने में आया है कि बिना बिजली की रीडिंग के ही हजारों रूपये के बिल आ रहे हैं तथा बिलों को आॅन लाईन जमा करने का दबाव जनता पर डाला जा रहा है हम राज्य सरकार की गरीब विरोधी नीति की निन्दा करते हैं। उन्होनें कहा मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ, जब खरीफ 2021-22 की फसलों की कीमतों का मूल्य निर्धारण करते हुए मोदी सरकार ने देश के किसानों से एक बार फिर विश्वासघात किया।
      महामारी के घोर संकट में भी किसान अपनी मेहनत से रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कर देश की डूबती अर्थव्यवस्था को भी थामे हैं और देश के खाद्यान्न जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। इसके बावजूद जुल्मी मोदी सरकार किसान के खेत खलिहान पर लगातार वार कर रही है। खरीफ फसलों का किसान हित विरोधी एमएसपी निर्धारण भी इसी का हिस्सा है।
      मोदी सरकार असलियत कम और अखबार की सुर्खियां बनाने में ज्यादा विश्वास रखती है। सच यह है कि एक सोचे समझे षडयंत्र के तहत मोदी सरकार एमएसपी पर फसल खरीदी कम कर रही है, ताकि धीरे-धीरे एमएसपी ही खत्म हो जाए। जब एमएसपी पर फसल खरीद होगी ही नहीं, तो एमएसपी देने के क्या मायने बचते हैं?

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