मोटापा और विटामिन डी की कमी बढ़ा सकती है स्तन कैंसर का खतराः डा. सुजाता
-360 पैरामेडिकल छात्रों ने ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता वेबिनार में किया प्रतिभाग
देहरादून। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल इसका मुख्य कारण है। महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्टूबर माह को पूरी दुनिया में बे्रस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। स्तन कैंसर का नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज के जीने की उम्मीद छोड़ देते है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ये धारणा सही नहीं है भारत में हर साल स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इजाफा हो रहा है।
स्ंाजय मैटरनिटी सेंटर की डायरेक्टर और स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डाॅ सुजाता संजय के मुताबिक, स्तन में गांठ, सुजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो डाॅक्टर से संपर्क करें डाॅ सुजाता कहते है, ब्रेस्ट कैंसर की 4 स्टेज होती है। अगर कैंसर पहली स्टेज यानी शुरुआती अवस्था में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 फीसदी तक होती है। दूसरी स्टेज में 60 से 70 फीसदी तक ठीक होने की सम्भावना रहती है। कैंसर की तीसरी या चैथी स्टेज में इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है। इसके कुछ लक्षणों को अगर समय पर पहचान लिया जाए तो इलाज आसान हो जाता है। मशहूर टाटा मेमोरियल हाॅस्पिटल के आंकड़ो के मुताबिक हर साल 4 हजार कैंसर के नए रोगी अस्पताल आते हैं। यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि अलग अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग अलग लक्षण पाए जाते है। स्तन कैंसर को समझना आसान है, ़ि़स्त्रयां खुद भी स्तन की जांच कर सकती है। स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव, स्तन का सख्त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे (अंडर आम्र्स) भी गांठ होना स्तन कैंसर के सकते हंै। हालांकि स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है, ताकि कहीं वो आगे चलकर कैंसर का रूप ना पकड़ ले। डाॅ सुजाता संजय के मुताबिक, शराब, ध्रूमपान, तंबाकू के साथ साथ बढ़ता वजन खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बॉडी में ज्यादा हार्मोन्स फैट टिशु से निकलते हैं, ज्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण है। इसलिए जरूरी है कि महिलांए अपने वजन को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चिित करें और कम से कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सककता है, लेकिन ऐसा सिर्फ 5-10 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया जाता हैं। डाॅ सुजाता संजय कहती है बदलते दौर में अपने लाइफस्टाइल को जरूरत से ज्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। हाल ही स्तन कैंसर पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई की विटामिन डी की कमी के साथ ही अगर मोटापा भी है तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है शोध में यह बात सामाने आई कम बीएमआई के साथ शरीर में मौजूद विटामिन डी का अच्छा स्तर स्तन कैंसर से बचाव का काम करता है।