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निर्भया कांड 2012ः-दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए सिर्फ 7 दिन, वर्ना होगी फांसी

नई दिल्ली।  16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया केस में चारों दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए सिर्फ 7 दिन का समय है। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो फांसी की सजा का अमल में लाया जाएगा। 16 दिसंबर दुष्‍कर्म पीडि़ता की मां ने कहा कि ये काफी समय पहले ही हो जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दुष्‍कर्म के मामले में 2017 में ही अपना फैसला सुना दिया था। मैं पिछले 7 साल से ये संघर्ष कर रही हूं कि दोषियों को जल्‍द से जल्‍द फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, लेकिन अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ। अब जेल प्रशासन ने सही कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर तिहाड़ जेल प्रशासन चारों दोषियों को नोटिस देकर उन्हें चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने सात दिनों के भीतर राष्ट्रपति महोदय के पास दया याचिका नहीं डाली तो उन्हें फांसी देने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इस बाबत तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल के मुताबिक, एक दोषी मंडोली जेल नंबर 14 में तो बाकी तीन तिहाड़ जेल में बंद हैं। चारों दोषियों को ट्रायल कोर्ट के बाद दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा पर मुहर लगा चुका है। ऐसे में यह प्रक्रिया के तहत किया गया है।

      बता दें कि नियमानुसार, फांसी की सजा पाया दोषी अंतिम विकल्प के तौर पर राष्ट्रपति के पास पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है। यहां से भी राहत नहीं मिलने पर फांसी मिलनी तय है।गौरतलब है कि दो साल पहले ही 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट अभियुक्तों की फांसी की सजा सुना चुका है। इससे पहले मामले का मुख्य आरोपित ड्राइवर राम सिंह तिहाड़ में फांसी लगाकर जान दे चुका है, जबकि एक नाबालिग आरोपित अपनी 3 साल की सजा सुधार गृह में पूरी कर चुका है।

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