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नागपुर, महाराष्ट्र से तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त कर डॉ० पसबोला बने “लामा फेरा हीलर

देहरादून। नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा तीन दिवसीय आनलाइन लामा फेरा हीलिंग कोर्स की राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला (Workshop) का आयोजन किया गया। जिसमें देहरादून उत्तराखंड से डॉ० डी० सी० पसबोला ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 15-08-2023 से 17-08-2023 तक चला। जिसमें डॉ० प्रदीप कुमार कोर्स इंस्ट्रक्टर द्वारा लामा फेरा हीलिंग का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण समाप्ति के पश्चात संस्थान द्वारा सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
      डॉ० पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि Lama Fera Healing में दवाई खाए बिना हर रोग का ईलाज होता है।
Lama Fera: लामा शब्द का तात्पर्य है भगवान बुद्ध के अनुयायी और फेरा शब्द का मतलब है घेरा या यूं कहें कि भगवान बुद्ध की शक्तियों का घेरा। भगवान बुद्ध की शक्तियां उपचारक के माध्यम से संचालित होती हैं तथा सीधे रोग या बीमारी तक पहुंचती हैं। लामा-फेरा एक बहुत ही प्रभावी उपचारात्मक तकनीक है जिसे बुद्धिस्टों द्वारा अपनाया तथा तिब्बती लामा द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। लामा-फेरा की यह प्रक्रिया आध्यात्मिक कर्मों को बढ़ाने में दर्द से छुटकारा दिलाने में, गंभीर बीमारी से होने वाली परेशानियों में अनचाहे उत्पन्न होने वाले तनाव, डर व चिंता से बचने और आपको अपने उच्च मूल्यों से जोड़े रखने में मदद करता है। मानसिक समस्याओं में इसे सबसे तेज उपचारात्मक माना गया है। यह अनावश्यक विचारों के दबाव को हटाने तथा शरीर में नई ऊर्जा को बढ़ाता है।
       लामा फेरा उपचार करने वाले बुद्ध के विचारों को मानते हैं तथा इसे मैडीटेशन के माध्यम से अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेते हैं। लामा फेरा को 12 प्रतीक चिन्हों के माध्यम से सीखा जाता है। जिसका उद्भेदन नहीं किया जा सकता और इसे लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रयोग किया जाता है। लामा फेरा के प्रतीक चिन्हों में सकारात्मक ऊर्जा को बड़े स्तर तक पहुंचाने वाली शक्ति की अधिकता होती है।
       इसके उपचार की तकनीक रेकी तथा अन्य आधुनिक समाज के उपचारात्मक तकनीकों से थोड़ी भिन्न है। यह नकारात्मक ऊर्जा एवं स्वास्थ्य से जुड़े अवांछनीय तथ्यों को समझने में मदद करता है तथा आपको जागरूकता, ज्ञान व भगवान बुद्ध की कृपा से खुशियां प्राप्त करने में भी मदद करता है।
       लामा फेरा सीखने के कुछ मानक हैं। हर कोई लामा फेरा उपचार की तकनीक नहीं सीख सकता। इसे सीखने के लिए जरूरत है काफी मात्रा में मैडीटेशन की तथा दूसरों की मदद के वास्तविक ललक की, सिर्फ अपने लिए नहीं। यह बहुत महत्वपूर्ण मानक होता है क्योंकि सीखने के दो चरण होते हैं। जहां बिना इसके दूसरे चरण में नहीं बढ़ा जा सकता। प्रथम चरण में व्यक्ति को इतिहास की जानकारी तथा उपचार में प्रयोग होने वाले चक्रों की भूमिका, उपचार वस्तु एवं उनके प्रयोग और ऊपर में वर्णित छ: प्रतीक चिन्हों के साथ ही एक उपचार औषधि जिसे मुख्य उपचार स्तर कहा जाता है, सब सीखना होता है। सीखने के दूसरे चरण में व्यक्ति शेष छ: प्रतीक चिन्ह एवं उनके प्रयोग, साथ ही दो शिक्षक उपचार औषधि जिन्हें मुख्य शिक्षण स्तर कहते हैं, इन्हें सीखते हैं। इसके बाद इसके महत्व को समझने के लिए ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करने की जरूरत है। साथ ही भगवान बुद्ध का आश्रय पाने में पवित्र मंत्रों को सुनाना होगा। जनहित की मंशा से सीखने वाला व्यक्ति इसे 2 दिन में भी सीख सकता है। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आपको पूरी प्रक्रिया के प्रति सच्चे मन से समर्पित होना होगा तथा प्रयोग एक के बाद एक पर करते रहना होगा।
लामा-फेरा के फायदे:
हर प्रकार के तनाव से मुक्ति।
डर और भय से आजादी के साथ ही नकारात्मक शक्तियों को भी दूर रखना।
इसके अभ्यास से याद्दाश्त को तेज बनाया जा सकता है तथा मैडीटेशन के माध्यम से एकाग्रता को भी उच्च स्तर तक ले जाया जा सकता है।
आंतरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए यह सबसे अच्छा इलाज है, साथ ही सभी बीमारियों के अंतिम क्षण के रोगियों के लिए यह सबसे बेहतर इलाज है।
पिछली जिंदगी की बातों तथा समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
एक अभ्यासी अच्छी तरंगों को महसूस करता है तथा अपने ऊर्जा स्तर में बदलाव महसूस करता है।
व्यवसाय प्रॉपर्टी एवं स्वास्थ्य इत्यादि की समस्याओं को खत्म करता है।
शरीर की रासायनिक प्रणाली को दुरुस्त कर मांस-हड्डियां, पाचन क्रिया को ऊर्जा तथा ताकत प्रदान करता है।
बीमारी के कारणों पर जड़ से प्रभाव डालकर उन्हें ठीक करता है।
सक्रिय जागरूक एवं आत्म विश्वास देता है।

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