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नाबार्ड ने राज्य के विकास में बैंकों की भूमिका पर किया बैठक का आयोजन

देहरादून। नाबार्ड उत्तराखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय ने राज्य के विकास के लिए बैंकों को एक मंच पर लाकर समन्वय स्थापित कर विकासात्मक कार्यों को गति देने हेतु राज्य स्तरिय वरिष्ठ बैंकर्स की एक बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता भारतीय रिर्जव बैंक के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार ने की। बैठक में नाबार्ड से डॉ. ज्ञानेंद्र मणि, मुख्य महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी), ए.पी. दास, मुख्य महाप्रबंधक, भास्कर पंत, महाप्रबंधक, तनुजा प्रसाद व एस.एल. बिरला, उप महाप्रबंधक, राज्य सरकार के ग्रामीण विकास के संयुक्त निदेशक विवेक उपाध्याय, उत्तराखण्ड ग्रमीण बैंक के चेयरमैन, भारतीय स्टेट बैंक के उप महाप्रबंधक, यूको बैंक के डीजीएम, पंजाब नेशनल बैंक के डीजीएम, पंजाब एण्ड सिंध बैंक की क्षेत्रीय प्रभारी, डीसीसीबी देहरादून की महाप्रबंधक सहित 20 बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।
डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने अपने स्वागतीय अभिभाषण में कहा कि कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्र के विकास को गति देने के लिएहम सभी बैंकर्स को समन्वय स्थापित करना होगा। डॉ. मणि ने राज्य में जीएलसी में बढ़ोतरी नहीं होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वाणिज्यिक बैंकों का शेयर घट रहा है तथा इस पर ध्यान देना अनिवार्य है। जीएलसी बढ़ाने के लिए बैंकों को ऋण संभाव्याता क्षेत्र विशेष का चयन करना होगा जहाँ नाबर्ड से हैंडहोल्डिंग स्पोर्ट लेकर ऋण की मांग पैदा की जा सकती है।बैंकों के समन्वय के तहत दिए ऋण के डिफाल्ट होने की संभावना ना के बराबर रहती है। साथ ही उन्होंने नाबार्ड के पास उपलब्ध अनेक निधियों यथा एसीएबीसी, एआईएफ, स्वास्थ्य आधारभूत संरचना, संयुक्त देयता सूमह, एफपीओं, वितीय समावेशन एवं जागरूकता आदि का फायदा लेने हेतु बैंकों से आग्रह किया। उनका मानना है कि नाबार्ड के ये उत्पाद न केवल राज्य के विकास बल्कि बैंकों के व्यवसाय को भी बढ़ाने में सहायक होंगे। वित्तीय जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बैंक अपने ग्राहकों से नजदीकी बढ़ा सकते हैं तथा यह एनपीए हुई राशि को वापस पाने में भी मददगार साबित हो सकता है। इन निधियों के बारे में जागरूकता लाकर बैंकर्स राज्य सरकार, भारत सरकार व बैंकों की विभिन्न योजनाओं को लाभ जरूरतमंद लोगों तक पहुँचाकर उनका जीवन खुशहाल बना सकते हैं।साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में फसल बीमा जो 2016 में 1.3 लाख किसानों द्वारा किया गया था विगत वर्ष घटकर केवल 52 हजार रह गया पर पर चिंता जाहिर की तथा इस क्षेत्र में पर भी ध्यान देने का आग्रह किया।
बैठक के अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि नाबार्ड हमेशा नई सोच व नए उद्देश्यों के साथ बैठक आयोजित करता है। नाबार्ड की पहल का स्वागत करते हुए श्री कुमार ने कहा कि यह हम सभी बैंकर्स की जिम्मेदारी है कि राज्य के विकास में मदद करें। उत्तराखण्ड की भौगोलिक संरचना के कारण उद्योगिकी इकाईयाँ केवल समतल जिलों तक ही सिमट कर रह गई हैं तथा पहाडी जिलों में बेरोजगारी तथा पलायन बढ़ा है। इस गैप को भरने के लिए बैंकर्स की भूमिका अहम हो जाती है तथा इसमें नाबार्ड के पास उपलब्ध विभिन्न फंड महत्त्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं। कृषि क्षेत्र, जिससे देश की पहचान है, पर एक निश्चित उद्देश्य के साथ काम करना होगा। बैठक का समापन मुख्य महाप्रबंधक ए.पी. दास के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ जिसमें श्री दास ने कहा कि राज्य की समस्याएं दूसरे राज्यों से भिन्न है अतः हमें अपनी रणनीति भी अलग बनानी होगी। सभी बैंकर्स को मिलकर कार्य करना होगा तभी राज्य का विकास संभव हो सकेगा। श्री दास ने बैठक के अध्यक्ष राजेश कुमार को मूल्यवान सुझावों व उपस्थित वरिष्ठ बैंकर्स का बैठक में भाग लेने हेतु विशेष आभार व्यक्त किया।

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