मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के.सिंह से नई दिल्ली में की शिष्टाचार भेंट
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के.सिंह से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने सिंह को 15 वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड के दृष्टिकोण को समझते हुए राज्य की मांगों के अनुरूप संस्तुतियां किए जाने पर उत्तराखण्ड की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान मिलने से राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सहायता मिलेगी। इससे विकासात्मक कार्यों में तेजी आएगी। उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। यहां प्रतिवर्ष विभिन्न दैवीय आपदाओं से करोड़ों का नुकसान होता है। इसका राज्य के संसाधनों पर भी प्रभाव पड़ता है। वित्त आयोग ने राज्य के इस पक्ष का समझा और आपदा राहत निधि के अंश में वृद्धि करते हुए लगभग 1041 करोड़ रूपए कर दिया। इससे आपदा प्रबंधन में सुधार आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड बहुमूल्य पर्यावरणीय सेवाएं देता है। परंतु उत्तराखण्ड को विकासात्मक कार्यों में वन संबंधी अवरोधों का सामना करना पड़ता है। राज्य केी लम्बे समय से मांग थी कि उत्तराखण्ड जैसे राज्यों, जो कि पर्यावरण संरक्षण में योगदान देते हैं, को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वित्त आायोग ने डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है, जिससे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड के शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में भी 148 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि 16 अक्टूबर 2018 को 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन0के0 सिंह की अध्यक्षता में सचिवालय, देहरादून में वित्त आयोग की बैठक आयोजित की गई थी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वित्त आयोग से राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत विशेष सहायता, राज्य की आपदा संवेदनशीलता, पेयजल व अन्य परियोजनाओं की अधिक लागत, राज्य सरकार के जल संरक्षण कार्यक्रमो, राज्य का ईको सर्विसेज व कार्बन क्रेडिट में योगदान, राजस्व डेफिसिट ग्रान्टस की हानि व 14वे वित्त आयोग का राज्य की वितीय स्थिति पर दुष्प्रभाव पर चर्चा की थी। बैठक के दौरान राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रस्तुतिकरण दिया गया था।