AdministrationNews UpdateUttarakhand

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने विभिन्न उद्यमियों के साथ किया विचार विमर्श

देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में पिरूल से आजीविका सृजन, वैकल्पिक ईंधन आदि के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक विभिन्न उद्यमियों के साथ विचार विमर्श किया। मुख्य सचिव ने पिरूल से निर्मित अन्य उत्पादों और उपयोगों के लिए सुझाव भी मांगे।

मुख्य सचिव ने वन विभाग को पिरूल कलेक्शन कर रहे स्वयं सहायता समूहों को नियमित भुगतान के लिए व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हुए एक कॉर्पस फंड बनाए जाने के निर्देश दिए, ताकि स्वयं सहायता समूहों के भुगतान में देरी न हो। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को शुरूआती सहायता प्रदान किए जाने हेतु पहले 5 सालों में उद्यमियों द्वारा दिए जाने वाले जीएसटी का 70 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने के भी निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इस दिशा में विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों में प्रयोग हो रही बेस्ट प्रेक्टिसेज को भी प्रदेश में अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि वनों से जितना अधिक से अधिक पिरूल का निस्तारण हो सकेगा, वनों को आग से बचाने में कारगर साबित होगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि पिरूल के ट्रांसपोर्टेशन में कोई समस्या न हो इसके लिए ई-रवन्ना जारी करते हुए इसकी ट्रांजिट फीस को न्यूनतम किया जाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वयं सहायता समूहों एवं लोगों की क्षमता निर्माण हेतु प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाने हेतु वन एवं उद्योग विभाग को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले ब्रिकेट्स/पैलेट्स की मार्केटिंग आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने ब्रिकेट्स बनाने हेतु आवश्यक ’बाइंडिंग डस्ट’ के अन्य विकल्प तलाशे जाने हेतु वन विभाग को निर्देशित किया।

मुख्य सचिव ने कहा कि वनों से पिरूल का अधिक से अधिक निस्तारण हो सके इसके लिए इसके विभिन्न उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीजन में पिरूल का अधिक से अधिक कलेक्शन हो सके इसके लिए पिरूल कलेक्शन में लगे स्वयं सहायता समूहों को ब्लोवर मशीनें भी उपलब्ध करायी जा सकती हैं। उन्होंने वन विभाग और एमएसएमई को इस दिशा में कार्य कर रहे उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों को हर सम्भव सहायता उपलब्ध कराए जाने की बात कही।

इस अवसर पर पिरूल से विभिन्न उत्पादों को तैयार करने की दिशा में कार्य कर रहे विभिन्न उद्यमियों ने मुख्य सचिव के समक्ष अपने अपने सुझाव दिए और अपनी समस्याओं से अवगत कराया। इस दौरान उद्यमियों ने उनके द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों को भी प्रदर्शित किया, जिनकी मुख्य सचिव द्वारा सराहना की गयी। उन्होंने रसोई (एलपीजी) गैस के विकल्प के रूप में पैलेट्स से चलने वाले चूल्हे की उपयोगिता के लिए सैम्पल लेकर प्रयोग किए जाने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ)  विनोद कुमार, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय,  विजय कुमार यादव एवं निदेशक उरेडा श्रीमती रंजना राजगुरु सहित पिरूल से सम्बन्धित विभिन्न उद्यमी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button