केविन के छठे वॉक इंडिया कैंपेन के तहत 100 से ज्यादा कृत्रिम अंग किए गए दान
हरिद्वार। भारत के प्रमुख एफएमसीजी ग्रुप केविनकेयर ने आज हरिद्वार में अपने 6ठे केविन्स वॉक इंडिया कैंपेन की शुरुआत के साथ देश भर में अपने सीएसआर कोशिशों को और बल प्रदान किया। केविनकेयर ने अपने प्रमुख डेयरी डिवीजन केविन्स के तहत हरिद्वार और उसके आसपास के क्षेत्रों में छिन्न-अंग लोगों को 100 से ज्यादा कृत्रिम हाथ-पैर दान किए। केविनकेयर के ऑपरेशंस विभाग के जनरल मैनेजर एन इलांगो इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कंपनी के अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, कर्मचारियों और फ्रीडम ट्रस्ट के साथ मिलकर इन कृत्रिम अंगों को दान किया।
जनवरी के महीने से लेकर अब तक हरिद्वार और उसके आसपास के इलाकों में कई विशेष कैंप लगाए गए थे, जिनमें केविनकेयर फैक्ट्री के कर्मचारी और ट्रस्ट के विशेषज्ञों को भेजा गया। इन कर्मचारी और विशेषज्ञों ने यहां के छिन्नांग लोगों से मिलकर उनके लिए कृत्रिम अंग तैयार करने के लिए माप लिया। इसके बाद अपंग लोगों के लिए खासतौर से 100 कृत्रिम अंग तैयार किए गए, जिन्हें आज ट्रायल फिटिंग और चलने के प्रशिक्षण के बाद उन्हें सौंप दिया गया। इस पहल के शुभारंभ पर केविनकेयर के ऑपरेशंस के जनरल मैनेजर एन इलांगो ने कहा कि, “हम अपनी वार्षिक सीएसआर गतिविधियों के तहत हरिद्वार में छिन्नांग लोगों को इस कठिन समय में समर्थन और प्रोत्साहन देकर खुश हैं। हम अपने सहयोगी फ्रीडम ट्रस्ट के आभारी हैं। इस तरह के विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए इन लोगों को सही पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया कर प्रसन्नता का अनुभव करना केविनकेयर के संस्कार का हिस्सा है। जागरूकता, शिक्षा के माध्यम से विकलांग-हितैषी समुदाय का समर्थन और पोषण करने के हमारे अथक प्रयासों ने निश्चित रूप से समाज में बदलाव किया है।” केविन के वॉक इंडिया कैंपेन की शुरुआत साल 2017 में हुई थी। इसका उद्देश्य लम्बी बीमारियों या दुर्घटनाओं के कारण अपने शरीर के अंग खोने वाले लोगों को चलने फिरने में सक्षम बनाना है। फ्रीडम ट्रस्ट के सहयोग से पिछले कुछ वर्षों में केविन के वॉक इंडिया अभियान ने अपने पिछले संस्क रणों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 600 से अधिक छिन्न-अंग वाले लोगों को लाभान्वित किया है। फ्रीडम ट्रस्ट के संस्थापक और मैनेजिंग ट्रस्टी, डॉ. एस सुंदर ने कहा कि, “हम यहाँ उन व्यक्तियों की मदद कर रहे हैं जिन्होंने अपने पैरों को खो दिया है।