सैनिक हमारे राष्ट्र के अभेद्य सुरक्षा कवचः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। भारत में आज के दिन को ’’तटरक्षक दिवस’’( इंडियन कोस्ट गार्ड स्थापना दिवस) के रूप में मनाया जाता है। 1 फरवरी 1977 को भारतीय तटरक्षक दल की स्थापना हुई थी। यह दिन उन वीर जवानों को समर्पित है जो अपनी और अपने परिवार की परवाह किए बगैर रात-दिन राष्ट्र सेवा में लगे रहते हैं।
45 वें भारतीय तटरक्षक स्थापना दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिये प्रतिबद्धतापूर्वक राष्ट्र सेवा हेतु समर्पित हमारे सजग, साहसी और जांबाज प्रहरियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। राष्ट्र की गरिमा और गौरव को अक्षुण्ण रखने के लिये निष्ठा और सजगता के साथ भारत की सीमाओं पर खड़े हमारे निष्ठावान सैनिकों के समर्पण और पराक्रम को श्रद्धापूर्वक नमन। राष्ट्र की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान करने वाले जांबाज सैनिकों पर हम सभी भारतवासियों को गर्व है। हमारे सैनिक हमारे राष्ट्र का गौरव हैं। वे अपने शौर्य और पराक्रम से न केवल भारतमाता की रक्षा करते है बल्कि प्रत्येक विपरीत परिस्थितियों में वे देशवासियों की मदद के लिये आगे आकर धैर्य व साहस, निष्ठा और प्रतिबद्धता की मिसाल भी कायम करते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे सैनिक हमारे राष्ट्र के अभेद्य सुरक्षा कवच हैं। उनकी अटूट निष्ठा और अद्म्य साहस का ही परिणाम है कि आज हम और हमारी सीमायें सुरक्षित हैं। हमारे तटरक्षक दल का आदर्श वाक्य ‘‘वयम् रक्षामः’’ है अर्थात हम रक्षा करते हैं। यह आदर्श वाक्य अपने कर्तव्यों की ओर बढ़ने की शिक्षा देता है कि परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हो ‘हम रक्षा करते हैं’। यह आदर्श वाक्य केवल हमारे तटरक्षक दल का ही नहीं बल्कि हर भारतवासी का होना चाहिये, जिस दिन हमारे देश का प्रत्येक युवा, हमारे सैनिकों की तरह सूझ बूझ, साहस, निष्ठा, समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ेगा उस दिन सही मायने में भारत का स्वर्णिम और सर्वांगीण उदय होगा।