News UpdateUttarakhand

हर राज्य और गांव तक पहुंचाना है सुभाष चंद्र बोस का संदेशः जायदीप मुखर्जी

देहरादून। ऑल इंडिया लीगल एड फोरम के महासचिव एवं प्रवक्ता जॉयदीप मुखर्जी ने अपने उत्तराखंड के भ्रमण के दौरान बीजापुर गेस्ट हाउस देहरादून मे लोगो को संबोधित करते हुए कहां कि 18 अगस्त 1945 में पूरी दुनिया में एक कथित विमान दुर्घटनाग्रस्त की अफवाह फैल गई, कि जापान के थाय हुको में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में यह समाचार बिल्कुल भी प्रामाणिक नहीं थी।
1956 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सहजराज हुसैन की अध्यक्षता में पहला आयोग गठित किया गया था। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने कमीशन की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और इस रिपोर्ट अपनी असहमति व्यक्त की। नेताजी के चाहने वालो की मांग पर 1977 एक अन्य आयोग की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीडी खोसला की अध्यक्षता में की। लेकिन जीडी खोसला आयोग की रिपोर्ट को मंत्रिमंडल और तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने संसद में खारिज कर दी। वर्ष 1988 में जब भारत सरकार ने नेताजी को ’मरणोपरांत भारत रत्न’ देने का निर्णय लिया, तब देश में नेताजी के चाहने वालो ने यह विरोध जताया कि पिछली दो रिपोर्टों को अस्वीकार करने के बावजूद, सरकार कैसे नेताजी को ’मरणोपरांत भारत रत्न’ दें सकती है कलकत्ता उच्च न्यायालय में पीआईएल याचिका दायर की गई और कलकत्ता उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने 18 अगस्त 1945 को नेताजी की कथित गुमशुदगी की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मनज के मुखर्जी की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने का आदेश दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button