राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की विशेषज्ञ समिति की दून में हुई बैठक
देहरादून। आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में अचनाक से बाढ़ मानसून में आती है लेकिन 7 फरवरी, 2021 को भारतीय हिमालय क्षेत्र में धौलीगंगा नदी के जल प्रवाह में अचानक वृद्धि से बाढ़ आ गयी जब कि सर्दियों में ग्लेशियर से बहती नदियों का प्रवाह कम रहता है। इस घटना में 204 लोग मारे गए, और पालतू जानवरों, कृषि भूमि, संपत्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी भारी नुकसान हुआ। 06 पुलों के धंसने से 13 गाँवों में सपंर्क टूट गया और दो जल विद्युत परियोजनाएँ ऋषिगंगा (13.2 मेगावाट) और तपोवन (520 मेगावाट) को भी बाढ़ ने तहस-नहस कर दिया था। इसके अलावा ऋषिगंगा घाटी के जलमार्ग में एक झील अस्तित्व में आई जो रतूड़ी गदेरा द्वारा जमा मलबे के के कारण बनी। इस आपदा के कारणों को लेकर अभी भी शोधकर्ता एकमत नहीं हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने आपदा के कारणों को जानने के लिए दो उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समितियों का गठन किया। पहली समिति को नदी के ऊपर वाले इलाकों की जांच के लिए और दूसरी समिति को नदी के निचे वाले इलाकों में अचनाक आई बाढ़ के प्रभाव का आकलन करने के लिए बनाई गई तथा अचानक बाढ़ और उसके प्रभावों को भविष्य में रोकने के लिए स्पष्ट रणनीति तैयार करने को कहा गया।
देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में विशेषज्ञ समिति की एक बैठक धन सिंह रावत, मंत्री, आपदा प्रबंधन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जीएसआई, एनआरएसए, आईआईटी, डीआरडीओ, डब्ल्यूआईएचजी, सीडब्ल्यूसी, टीएचडीसी, युसीएडीए, एनडीघ्मए, आईटीबीपि, एसडीआरघ्फ, बीआरओ, एनआईडीएम , आईएम्डी, एनटीपीसी और कश्मीर यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी उपस्थित थे। एनडीएमए के सदस्य ने बैठक में उपस्थित लोगो को दो विशेषज्ञ समितियों के उद्देश्यों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया की ये राज्य उच्च प्रतिष्ठित सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पुरुस्कार 2020 का विजेता है और माननीय मंत्री जी के नेतृत्व में राज्य के आपदा प्रबंधन के पहलों की वे सराहना करते हैं। एनडीएमए की पहली टीम के टीम लीडर ने आपदा के कारणों को समझने के लिए अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली पर एक प्रेजेंटेशन दिया और दूसरी टीम के टीम लीडर ने एक्शन में अपनाये जाने वाले तरीकों को बताया। राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत ने हिमालय क्षेत्र में आने वाली आपदाओं के बारे में बताया और कहा कि विकास संबंधी कार्यो में सदैव आपदा सुरक्षा और आम जनता के कल्याण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए। चमोली में आयी ऋषिगंगा बाढ़ के राहत कार्यो के दौरान उन्होंने देखा की इस बाढ़ के कारण नदी में निर्मित अवरोध ने नदी अत्यधिक चैड़ी हो गयी है और भविष्य में होने वाले किसी भी आपदा का पहले से सटीक अनुमान लगन जरूरी है। उन्होंने आगे बताया कि राज्य जल्द ही एक समर्पित आपदा प्रबंधन अनुसंधान संस्थान खोलने जा रहा है जो जनता को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण और उसे रोकने की तकनीकों को सिखाया जायेगा ।