विवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियांे में मौत, ससुरालियों पर दहेज, हत्या का मुकदमा दर्ज
देहरादून। डोईवाला में एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी। विवाहिता के परिजनों ने पुलिस को तहरीर देकर उनकी पुत्री की हत्या किए जाने का का आरोप लगाया। तहरीर के बाद इस मामले में पुलिस ने मृतका के पति समेत परिवार के कुल चार लोगों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज किया है। पूरे मामले की छानबीन की जा रही है। डोईवाला में थाना रानीपोखरी अंतर्गत भोगपुर में एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस ने मृतका के पति समेत परिवार के चार लोगों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयास कर रही है।
मामला रानीपोखरी थाना क्षेत्र के चक सिंधवाल गांव का है। जहां विजेंद्र सिंह की पुत्री आरती का विवाह पवन रावत निवासी भोगपुर से 12 दिसंबर 2021 में हुआ था। मृतक के पिता ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि विवाह के पहले दिन से ही आरती को कम दहेज देने के चलते ससुराल में परेशान किया जाता था। तहरीर में मृतका के पति पर आरोप लगाया गया है कि उसके किसी अन्य महिला से अवैध संबंध भी थे। साथ ही बताया गया कि शादी के बाद से ही मृतका डरी और घबराई हुई रहती थी। शनिवार की शाम सात बजे आरती ने अपनी बड़ी बहन पूजा को भी फोन किया था, जिसमें वह अपनी बड़ी बहन से बात करते हुए बहुत घबराई हुई थी और रो रही थी। उसके बाद आरती ने फोन काट दिया और आरती से स्वजनों का कोई संपर्क नहीं हो पाया। इतना सब होने के बाद रविवार की सुबह आरती का पति पवन रावत उसके मायके आया और आरती को बाथरूम में फिसलने से चोट लगने की बात कही। साथ ही बताया कि वह हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती है। जिसके बाद तुरंत ही लड़की के स्वजन हिमालयन हास्पिटल पहुंचे। जहां डाक्टरों ने उन्हें बताया गया कि उनकी पुत्री की दस घंटे पहले ही मौत हो चुकी थी। जिसके बाद लड़की के पति पवन रावत ने अपना बयान बदलते हुए बताया कि आरती ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। लड़की के पिता ने पुलिस को अपनी तहरीर सौंप दी है। जिसके आधार पर पुलिस ने पति पवन, देवर नितिन, सास राजेश्वरी देवी व मौसा चंद्रशेखर रावत के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। जिसके बाद पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है। साथ ही स्वजन तथा पुलिसकर्मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। मुकदमा पंजीकृत होने के बाद पुलिस जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है।